नई दिल्ली। पद्म पुरस्कारों की घोषणा के बाद कई नाम ऐसे हैं जो काफी चर्चा में हैं। लेकिन एक नाम ऐसा भी है जिसके बारे में जानने के लिए लोग काफी उत्सुक हैं। यह नाम है काशी के शिवानंद बाबा (Shivanand Baba) का। लोग उनकी उम्र के बारे में जानना चाहते हैं। बताया जाता है कि वह इस समय 126 साल के हैं और पूरी तरह से स्वस्थ हैं। आइए जानते हैं कौन हैं शिवानंद बाबा?
मूल रूप से बंगाल के रहने वाले हैं
लाइमलाइट से दूर रहने वाले शिवानंद बाबा एक योग साधक हैं। पद्म पुरस्कार की घोषणा तक ज्यादातर लोग उन्हें जानते तक नहीं थे। लेकिन जैसे ही पद्म पुरस्कार की घोषणा हुई, लोगों ने उनके बारे में खोजना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि साल 1896 में जन्में शिवानंद बाबा को योग और धर्म के बारे में काफी जानकारी है। मूल रूप से वह बंगाल के रहने वाले हैं और वर्तमान में काशी में रहते हैं। काशी में ही उन्होंने गुरू ओंकारानंद से शिक्षा ली। 1925 में, अपने गुरु के आदेश पर, वह केवल 29 वर्ष की आयु में विश्व भ्रमण पर गए थे।
लोगों को स्वस्थ दिनचर्या के लिए प्रेरित करते हैं
34 वर्ष की आयु तक उन्होंने देश विदेश को नाप डाला और जिंदगी के गूढ़ रहस्य जुटाकर लाए। लौटने के बाद उन्होंने लोगों को योग और स्वस्थ दिनचर्या के लिए प्रेरित करना शुरू किया। शिवानंद बाबा के बारे में सोचकर लोग हैरान हैं कि क्या कोई इस उम्र में भी इतना फिट रह सकता है? वहीं कुछ लोग सोचते हैं कि नहीं, उनकी उम्र कम है, वे 126 साल तक नहीं जी सकते।
आज भी अनुशासित तरीके से रहते हैं
ऐसे में आपको बता दें कि बाबा के पास उम्र का सर्टिफिकेट भी है। उनकी जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 है जो उनके आधार कार्ड और पासपोर्ट में दर्ज है। शिवानंद बाबा आज भी बेहद अनुशासित तरीके से रहते हैं। उनकी दिनचर्चा काफी सहज है। वे हर दिन सुबह 3 बजे जग जाते हैं और करीब 1 घंटा योग करते हैं। योग के बाद पूजा पाठ और फिर उबला हुआ भोजन करते हैं। वह कभी भी फल और दूध का सेवन नहीं करते। साथ वे हमेशा खाने में सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं।
शिल्पा शेट्टी ने किया था जिक्र
मालूम हो कि बाबा सबसे पहले तब सुर्खियों में आए थे जब एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर उनका एक वीडियो शेयर किया था और कहा था कि उनसे प्रेरणा लेकर उन्होंने भी योग करना शुरू किया और अपनी डाइट में बदलाव किया है। बाबा का जन्म पश्चिम बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था। बचपन में ही उनके माता-पिता भूख के कारण चल बसे थे। तभी से बाबा ने आधा पेट भोजन करने का संकल्प लिया था और वे अभी तक इसे निभा रहे हैं।
इस कारण से दूध और फल का सेवन नहीं करते
गरीबों के प्रति उनकी आत्मीय भावना है। इसी भावना के कारण वह दूध और फल का सेवन नहीं करते। उनका मानना है कि गरीबों को फल और दूध नसीब नहीं होता, इसलिए वे भी ग्रहण नहीं करते।