देहरादून। उत्तराखंड में ज्यादातर विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होने के बाद कई सीटों पर रोचक संघर्ष की संभावना है।
खटीमा पर रार
उत्तराखंड में किसी मुख्यमंत्री के दोबारा सरकार नहीं बना पाने के मिथक को तोड़ने के लिए आतुर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी चुनौती दे रहे हैं। पिछले चुनावों में धामी ने कापड़ी को 2,709 मतों के अंतर से हराया था। आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एस. एस. कलेर की मौजूदगी खटीमा के चुनावी दंगल को और रोचक बना सकती है। हालांकि, राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि सीट को कब्जे में रखना इस बार मुख्यमंत्री के लिए इतना आसान नहीं होगा।
कोई मुख्यमंत्री नहीं दर्ज कर पाया जीत
2002 में प्रदेश में पहले विधानसभा चुनावों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को छोड़कर कभी कोई मुख्यमंत्री जीत दर्ज नहीं कर पाया है। राजनीतिक विश्लेषक जयसिंह रावत ने कहा, ‘‘भुवनचंद्र खंडूरी 2012 में अपनी सीट नहीं बचा पाए जबकि 2017 में हरीश रावत दोनों सीटों से चुनाव हार गए।’’ पांच साल का अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले राज्य के अकेले मुख्यमंत्री दिवंगत नारायणदत्त तिवारी ने चुनाव ही नहीं लड़ा था।
मदन कौशिक के लिए आसान नहीं राह
हरिद्वार शहर से हमेशा जीत दर्ज करने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के सामने कांग्रेस ने एक बार फिर सतपाल ब्रह्मचारी को उतारा है। पिछली बार 2012 में कौशिक ने ब्रह्मचारी को हराया था। हालांकि, प्रेक्षकों का मानना है कि इस बार सत्ता विरोधी लहर के चलते कौशिक को अपनी जीत का रिकार्ड बनाए रखने में परेशानी हो सकती है।
जुबिन नौटियाल के पिता भी मैदान में
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह चकराता विधानसभा क्षेत्र से अब तक अजेय रहे हैं लेकिन इस बार उनके सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल हैं। प्रेक्षकों का मानना है कि क्षेत्र में खासा दबदबा रखने वाले सिंह को जुबिन की लोकप्रियता से कड़ी टक्कर मिल सकती है।
किसकी होगी श्रीनगर गढवाल सीट
श्रीनगर गढवाल सीट पर भी रोचक संघर्ष देखने को मिल सकता है जहां कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल और कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत एक बार फिर आमने-सामने हैं। गोदियाल रावत को 2012 में हरा चुके हैं लेकिन 2017 में रावत ने जीत दर्ज की थी।
नैनीताल में रोचक मुकाबला
नैनीताल में संजीव आर्य और सरिता आर्य एक दूसरे के सामने हैं। हालांकि, रोचक बात यह है कि 2017 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाली आर्य अब भाजपा के पाले में हैं जबकि बतौर भाजपा प्रत्याशी लड़े संजीव अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।
जो जीतेगा उसी पार्टी की बनेगी सरकार
भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए जा रहे कर्नल अजय कोठियाल के गंगोत्री से ताल ठोंकने के कारण वहां रोचक त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। वैसे भी मान्यता है कि गंगोत्री से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है।