नई दिल्ली। दवाई को लेकर कई बार धोखाधड़ी की खबरे सामने आई है। हम आसानी से इनकी पहचान भी नहीं कर पाते। लेकिन, जल्द ही आप मिनटों में इसकी असलियत की पहचान कर पाएंगे। नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार जल्द ही एक सख्त कदम उठाने जा रही है। दरअसल, सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) पर क्यूआर कोड को अनिवार्य कर दिया है।
आसानी से गुणवत्ता की जांच कर पाएंगे
अगर ऐसा होता है तो आप आसानी से इसकी गुणवत्ता की जांच कर पाएंगे। इस नए नियम को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नए नियम को अगले साल 1 जनवरी 2023 से लागू कर दिया जाएगा। QR कोड की मदद से आप आसानी ये पता लगा पाएंगे कि दवा बनाने में फॉर्मूले से कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है।
20 फीसदी दवाएं नकली बनती हैं
बता दें कि नकली, खराब या गुणवत्ता से नीचे के API से बनी दवा से मरीजों को कोई फायदा नहीं होता। DTAB यानी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने जून, 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार भारत में बनी 20 फीसदी दवाएं नकली होती हैं। वहीं एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 3 फीसदी दवाओं की क्वालिटी घटिया होती है।
सरकार 2011 में ही इसे लागू करना चाहती थी
गौरतलब है कि सरकार साल 2011 से ही इस सिस्टम को लागू करने की कोशिश कर रही है , लेकिन फार्मा कंपनियों के बार-बार मना करने की वजह से इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जा सका था। कंपनियों की मांग थी कि देशभर में एक समान क्यूआर कोड लागू किया जाए, जिसके बाद साल 2019 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडरर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने ये ड्राफ्ट तैयार किया है।