नई दिल्ली। देश में तेजी से बढ़ रहे कोविड-19 और उसके नए स्वरूप ओमीक्रोन से संक्रमितों के मामले एक बार फिर डराने लगे हैं। सरकारों ने भी इसके मद्देनजर अपने-अपने स्तर पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। दूसरी लहर की भयानक यादों के बीच आई इस महामारी की तीसरी लहर के खतरों पर जाने माने स्वास्थ्य विशेषज्ञ और भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के पूर्व सचिव डॉक्टर रवि मलिक से ‘भाषा के पांच सवाल’ और उनके जवाब:सवाल: कोविड-19 महामारी के तेजी से बढ़ते मामले एक बार फिर डराने लगे हैं। कैसे देखते हैं आप इस स्थिति को?जवाब: संक्रमण तो काफी फैल रहा है।
आने वाले समय में यह रुकेगा नहीं बल्कि और फैलेगा। क्योंकि यह बहुत ही संक्रामक स्वरूप लेकर आया है। आप देखिए, अमेरिका ने भारत के मुकाबले ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया, इसके बावजूद वहां पर यह इतनी तेजी से फैल गया है। पिछले 24 घंटों में अमेरिका में संक्रमण के करीब नौ लाख मामले आए हैं। ब्रिटेन में पौने दो से दो लाख के करीब मामले रोजाना आ रहे हैं। भारत की आबादी के मुकाबले उनकी आबादी तो कुछ भी नहीं है। लिहाजा यहां भी यह फैलेगा। यहां अभी 14 लाख के करीब जांच हुई है। जांच का दायरा बढ़ेगा तो देश में मामले और बढ़ेंगे। क्योंकि बहुत सारे मामले बगैर लक्षणों वाले हैं, बहुत से लोग जांच भी नहीं करवा रहे हैं और बहुत सारे लोग घरों में जांच करा रहे हैं लेकिन रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं।
इसके बावजूद यदि संक्रमण के मामले लाख की संख्या में आ रहे हैं तो मतलब साफ है कि यह आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ेंगे। हां, घबराना नहीं है। सावधानी बरतनी होगी। सवाल: तो क्या हम तीसरी लहर में प्रवेश कर चुके हैं और यदि ऐसा है तो इसका चरम कब तक आने का अनुमान लगाया जा सकता है?जवाब: अभी मामले और तेजी से बढ़ने लगे हैं। आने वाले दो हफ्तों में देखना होगा यह स्थिति क्या रूप लेती है। तब हमें पता चलेगा कि यह किस दिशा में बढ़ रहा है। लेकिन, हम तीसरी लहर के मध्य में पहुंच गए हैं और इससे इंकार नहीं किया जा सकता। संक्रमण की रफ्तार यही रही तो फरवरी में यह अपने चरम पर पहुंच सकता है।सवाल: ओमीक्रोन की संक्रामकता को लेकर सभी की राय एक जैसी है लेकिन यह कितना खतरनाक है, इसे लेकर अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं।
आपकी राय?जवाब: बहुत खतरनाक नहीं है। तुलनात्मक रूप से देखें और अभी तक अनुभवों के आधार पर कहूं तो ओमीक्रोन का स्वास्थ्य पर प्रभाव डेल्टा व कोराना के अब तक आए अन्य स्वरूपों के मुकाबले कम हैं। इस बार संक्रमण फेफड़ों तक नहीं पहुंच पा रहा है। कोरोना से अधिकांश मौते संक्रमण के फेफड़ों तक पहुंचने से होती हैं। लेकिन इसे हल्का बताकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह सिर्फ जुकाम भर नहीं है। इसलिए बहुत सावधान ओर सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह जानलेवा भी हो सकता है।सवाल: अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और अब कोराना का नया स्वरूप ओमीक्रोन आया है। फ्रांस में तो आईएचयू स्वरूप ने भी दस्तक दे दी है। आगे क्या?जवाब: वायरस जैसे-जैसे फैलता है, वह अपना स्वरूप बदलता है।
आईएचयू अभी फ्रांस में शुरू हुआ है। आगे कोरोना के नए स्वरूप भी आ सकते हैं। इस पर तो नजर रखनी ही होगी। हमें इस वायरस को स्वरूप बदलने से रोकना है तो हमें ही सावधानी बरतनी होगी। उसे स्वरूप बदलने का मौका ही ना दें, क्योंकि यह जितना फैलेगा, उतनी ही आशंका इसके स्वरूप बदलने की है।सवाल: हर किसी के मन में यही सवाल है। कब मिलेगी इस महामारी से निजात?जवाब: संभवत: तीन से चार लहर के बाद इसे समाप्त हो जाना चाहिए। लेकिन यह महामारी अप्रत्याशित है। कोरोना के और स्वरूप भी आ सकते हैं। इसलिए, इस बारे में कोई भी भविष्यवाणी करना उचित नहीं होगा। लेकिन संभवत: और ज्यादा लहर ना आए। क्योंकि हम लोगों की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधकता) भी बढ़ रही है। टीका भी लग रहा है। स्वरूप भी हल्का पड़ रहा है। तो हो सकता है आने वाले समय में यह महामारी उतना ज्यादा कहर ना डाले।