कटक। ओडिशा की एक अदालत ने दो लेखकों को दिग्गज उड़िया साहित्यकार फकीर मोहन सेनापति की जीवनी प्रकाशित करने से रोक दिया है। साहित्यकार की नातिन ने दावा किया कि इस जीवनी के लिए उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया। सेनापति की नातिन मीनाक्षी दत्ता की याचिका पर यह आदेश आया है। वह सेनापति की सभी साहित्यिक रचनाओं की संरक्षक हैं।
फकीर मोहन सेनापति की जीवनी पर रोक
दत्ता ने देबी प्रसन्न पटनायक और लालतेंदु मोहपात्र को ‘मो जीवनी’ प्रकाशित करने से स्थायी रूप से रोकने के लिए अगस्त में अदालत का रुख किया था। हालांकि, उन्होंने दोनों लेखकों के साथ एक समझौता ज्ञापन किया था लेकिन अब वह इस परियोजना को जारी रखने की इच्छुक नहीं हैं। दत्ता ने आरोप लगाया कि वे उनसे पूछे बिना एकतरफा फैसले ले रहे हैं। सेनापति को आधुनिक उड़िया साहित्य का जनक कहा जाता है। उनका 75 वर्ष की आयु में 1918 में निधन हो गया था।