Air Defense System S-400: रूस की मिसाइल डिफेंस सिस्टम S 400 की पहली खेप भारत पहुंच गई है। अनुमान है कि इसे नए साल पर देश की सेवा में तैनात किया जा सकता है। इस सिस्टम के आने से भारत की ताकत और बढ़ेगी। सिस्टम को इस तरह से तैयार किया गया है कि ये किसी भी प्रकार के हवाई हमले को रोकने में सक्षम है। बतादें कि S 400 की गिनती दुनिया के सबसे अच्छे एयर डिफेंस सिस्टम में होती है। इसे अमेरिका के मिसाइल डिफेंस सिस्टम से भी बेहतर माना जाता है। अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट DNA ने इसके भारत पहुंचने की पुष्टी की है। आइए जानते हैं क्या है इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खासियत।
अमेरिका हो गया था नाराज
बता दें कि रूस के साथ इस सौदे पर अमेरिका ने भारत से कड़ी नाराजगी जताई थी। डील के वक्त अमेरिका की मौजूदा सरकार ने CAATSA एक्ट के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी थी। हालांकि भारत ने भी साफ कर दिया था कि वह अपनी रक्षा जरूपतों के फैसलों पर किसी भी तरह के नियंत्रण को स्वीकार नहीं करेगा। वहीं चीन भी इस सौदे से बौखलाया हुआ है।
क्या है इसकी खासियत
मालूम हो कि इस एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए मिसाइल, फाइटर एयरक्राफ्ट, रॉकेट्स यहां तक कि ड्रोन हमलों से भी बचाव किया जा सकता है। इसकी हर रेजिमेंट में 8 लॉन्चर होते हैं। इसके लिए हर लॉन्चर में 4 मिसाइल होती है। यानी एक रेजिमेंट एक बार में 32 मिसाइल फायर कर सकती है। गौरतलब है कि इस सिस्टम का कमान सेंटर 600 किलोमीटर दूर से ही हमलावर मिसाइल या एयरक्राफ्ट को ट्रैक कर लेता है फिर 2 Km से लेकर 400 Km तक की रेंज में उसे तबाह कर देता है।
3 मिनट के अंदर जवाबी हमला
सिस्टम एक बार में 80 टार्गेट्स को ट्रैक कर सकता है और उस तबाह भी कर सकता है। इतना ही नहीं ये इतना कॉम्पैक्ट है कि इसे जरूरत पड़ने पर ट्रक से एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। ट्रक से भी इसे 10 से 15 मिनट के अंदर हमले के लिए रेडी किया जा सकता है। सिस्टम सिग्नल मिलने के महज 3 मिनट के अंदर जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हो जाता है। कोई भी देश इस सिस्टम के रडार को जैम नहीं कर सकता है।
चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए जरूरी था
भारत सरकार ने साल 2018 में रूस के साथ 5.43 बिलियन डॉलर यानी करीब 39000 करोड़ रूपये में S 400 की पांच रेजिमेंट्स का सौदा तय किया था। जानकारों की माने तो इस सिस्टम का सौदा भारत के लिए बेहद ही जरूरी था। क्योंकि पाकिस्तान के साथ-साथ अब भारत को चीन के साथ भी युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहने की जरूरत है। वहीं चीन के पास न केवल अच्छे फाइटर एयरक्राफ्ट की बड़ी तादाद है बल्कि लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइलों का भी बड़ा जखीरा है।
भारत आधुनिक S 500 भी खरीद सकता है
वहीं खबर ये भी है कि भारत रूस से एयर डिफेंस सिस्टम S 500 (Air Defense System S 500) भी खरीद सकता है। हाल ही में रूस के उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव ने दावा किया था कि भारत रूसी S 500 खरीदने वाला पहला देश बन सकता है। आइए जानते हैं क्या है S 500 सिस्टम और ये S 400 सिस्टम से कितना अलग है।
अंतरिक्ष में उपग्रह को भी मार गिरा सकता है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुनिया का सबसे टॉप और शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम है। यह न केवल गुफ्त लक्ष्यों का पता लगा सकता है, बल्कि अंतरिक्ष में उपग्रहों को मार गिराने में भी सक्षम है। इस सिस्टम में चार तरह की मिसाइलें शामिल हैं। एक मिसाइल की मारक क्षमता 600 Km, दूसरी की मारक क्षमता 250 किमी, तीसरी की मारक क्षमता 120 Km और चौथी की मारक क्षमता 40 किमी है।
रूस ने इसे क्यों किया विकसित
रूस ने इस मिसाइल सिस्टम को बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के उद्देश्य से विकसित किया है। इतना ही नहीं ये हाइपरसोनिक विमान और मानवरहित हवाई वाहनों को भी नष्ट करने में सक्षम है। रूस दावा करता है उसका नया डिफेंस सिस्टम यूएस एफ- 35 लड़ाकू विमानों को भी मार गिराने में सक्षम है। वहीं अमेरिका दावा करता है उनका F-35A लडाकू विमान स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है, जिसे किसी भी राडार से ट्रेस नहीं किया जा सकता।
S-400 के आधार पर ही इसे विकसित किया गया है
बतादें कि S-500 मिसाइल सिस्टम 600 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मनों की बैलिस्टिक मिसाइलों और लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर विमान को मार गिरा सकता है। रूस ने इसे S-400 के आधार पर ही विकसित किया है। इस मिसाइल सिस्टम में 77N6 सीरीज के अलावा कई अन्य मिसाइलें भी तैनात होंगी। माना जा रहा है कि इस मिसाइल को S-400 में भी लगाया जाएगा। मिसाइल 3 से 4 सेकेंड में प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। S-400 की तुलना में इस सिस्टम की मिसाइल 200 किलोमीटर की दूरी 6 सेकंड से कम समय में तय कर लेती है।
कब मार गिराना है ये पहले ही तय कर लिया जाता है
इसके अलावा नए मिसाइल सिस्टम में इतने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि इसे दुश्मन की मिसाइल को कौन से फेज में गिराना है ये पहले ही तय कर लिया जाता है। जैसे-लॉन्चिंग के तुरंत बाद गिराना है या फिर कुछ दूरी पर या करीब आने पर। अगर मिसाइल को बूस्ट फेज यानी शुरूआत के समय में ही धवस्त किया जाता है, तो उसके मलबे या राख से कोई नुकसान नहीं होता है।
पाकिस्तान का मिसाइल डिफेंस सिस्टम
गौरतलब है कि भारत अभी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम ही खरीद रहा है,जो पड़ोसी देशों के मिसाइल सिस्टम से काफी आगे है। पाकिस्तान और चीन के डिफेंस सिस्टम की बात करें, तो पाकिस्तान चीन निर्मित हाई टू मीडियम एयर डिफेंस सिस्टम एचक्यू-9 का इस्तेमाल करता है। इस सिस्टम में लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगी होती है। इस मिसाइल सिस्टम को चाइना प्रेसिजन मशीनरी इम्पोर्ड एंड एक्सपोर्ड कारपोरेशन ने विकसित किया है। इसकी लंबाई 6.8 मीटर और वजन करीब 2000 किलोग्राम तक होता है। यह हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल, हेलीकाप्टर, विमान, मानव रहित विमान, गाइडेड बम और टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल जैसे कई खतरों को रोक सकता है।
चीन का मिसाइल डिफेंस सिस्टम
चीन के पास भी एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम ही है। हालांकि इसके पास कई वेरियंट हैं। उसका दावा है कि यह एयर डिफेंस सिस्टम एक साथ कई लक्ष्यों को इंटरसेप्ट कर सकता है। वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन ने इस मिसाइल सिस्टम को रूस के एस-300 और अमेरिका के एमआईएम-104 पैट्रियट मिसाइल सिस्टम की तकनीक पर विकसित किया है। जो रूस के S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम से काफी कमजोर है।