kuldhara village story in hindi: भारत ही नहीं दुनिया के सबसे भूतिया गांव की बात करें तो कुलधरा का नाम पहले नंबर पर आता है। राजस्थान के जैसलमेर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है ‘कुलधारा गांव’ Kuldhara Village जो पिछले 200 वर्षों से वीरान पड़ा है। माना जाता है कि इस गांव को सन् 1300 में कर्मकाणडी पालीवाल ब्राह्मण समाज ने सरस्वती नदी के किनारे इस गांव को बसाया था। कभी गांव में काफी चहल-पहल रहती थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि यहां शाम के बाद कोई इंसान नहीं रुकता। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां रात में भूतों का बसेरा रहता है।
सरकार ने इसे टूरिस्ट स्पॉट घोषित कर दिया
भूतों के गांव के नाम से कुलधरा यह इतना विख्यात हो चुका है कि राज्य सरकार ने इसे टूरिस्ट स्पॉट घोषित किया है। डिस्कवरी सहित दुनिया के कई टीवी चैनल्स ने कुलधरा की शूटिंग कर भूतों की कहानी अपने चैनल्स् पर चलाई है। गांव के लोग मानते हैं कि कुलधरा एक शापित गांव है। इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो पाएंगे कि जैसलमेर के भाटी राजपूत सामन्ती सरदार थे। लगभग 200 वर्ष पूर्व सन् 1825 में भाटी समाज के कमजोर राजा का एक सशक्त दीवान सालिम सिंह था। सालिम सिंह कुलधरा के मुखिया की बेहद खूबसूरत बेटी के प्यार में पड़ गया और उससे शादी करना चाहता था। मुखिया द्वारा बेटी की शादी दीवान से ना करने पर दीवान ने बहुत भारी मात्रा में कर लगाने की धमकी गांव वालों को दी।
ब्राह्मण समाज ने गांव छोड़कर जाने का फैसला किया
ऐसे में पालीवाल ब्राह्मण समाज के लोगों ने अपने मान-मर्यादा और आत्मसम्मान को महत्व देते हुए रक्षाबंधन के दिन गांव छोड़कर जाने का फैसला किया, जिसमें कुलधरा सहित खाबा, खाबिया, काठोडी, आबुर, कन्डियाला, आसवा, दामोदरा सहित आस-पास के 84 गांव के लोगों ने साथ देते हुए रातों रात गांव को खाली कर दिया और जैसलमेर के आस-पास की दूसरी रियासत में चले गए।
मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है
इसी कारण आज भी कुछ पालीवाल ब्राह्मण रक्षाबन्धन का त्यौहार नहीं मनाते हैं। इन 84 गांवों में से कुलधरा ही सबसे समृद्ध गांव था, क्योंकि यहां के लोग रेगिस्तान में अच्छी फसल पैदा करने की तकनीक जानते थे। आज भी कुलधरा में पालीवाल ब्राह्मणों के कुलदेवता बालाजी का बड़ा एवं सुन्दर मन्दिर है, लेकिन वर्तमान में मन्दिर के अन्दर किसी प्रकार की कोई मूर्ति नहीं है। कुलधरा की तरह बाकी गांवों में भी ऐसे छोड़े गए मकान आज भी उजाड़ और वीरान पड़े हुए हैं लेकिन विख्यात केवल कुलधरा गांव ही हुआ।
रूहानी ताकतों के कब्जे में है गांव
कहते हैं गांव छोड़ते वक्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया था। जब से आजतक ये वीरान गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है, जो अक्सर यहां आने वालों को अपनी मौजूदगी का अहसास भी कराती हैं। इस गांव में एक मंदिर है और एक बावड़ी है, जो आज भी श्राप से मुक्त है। बताया जाता है कि शाम ढलने के बाद अक्सर यहां कुछ आवाजें सुनाई देती हैं। लोग मानते हैं कि वो आवाज 18वीं सदी का वो दर्द है जिनसे पालीवाल ब्राह्मण गुजरे थे।
यहां जाने के लिए देना होगा शुल्क
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर आप इस गांव की यात्रा करना चाहते हैं तो आप यहां हफ्ते में किसी भी दिन सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक जा सके हैं। प्रेतवाधित या भूतिया माने जाने के कारण स्थानीय लोग इस गांव के पाटक को सूर्यास्त के बाद बंद कर देते हैं। सरकार द्वारा कुलधरा गांव में प्रवेश के लिए शुल्क लिए जाते हैं। जिसमें प्रति व्यक्ति 10 रूपये और यदि आप कार से जा रहे हैं 50 रूपये देने होंगे।