नई दिल्ली। आज हम आपको KaalSarp Yog In Kundli बताने जा रहे हैं एक ऐसे खतरनाक योग के बारे में। जो अगर किसी की कुंडली में बन जाए। तो उसे बर्बाद करके ही छोड़त है। इतना ही नहीं अगर समय रहते इसका निदान न किया जाए तो यह जीवन में मुसीबतों की बाढ़ लेकर आ जाता है। यहां हम बात कर रहे हैं कालसर्प योग के बारे में। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री से जानते हैं। कि कालसर्प योग बनता कैसे है। इसे कैसे अपनी कुंडली में देख सकते हैं। इसके उपाय क्या हैं।
ऐसे बनता है कालसर्प योग —
पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार जब कुंडली केतु और राहु के बीच सारे ग्रह आ जाएं तो कालसर्प योग की स्थिति बनती है। ऐसे जातकों को अपना जीवन यापन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। घर बाहर जाकर भी इन्हें संघर्ष करना पड़ता है। ये हमेशा षड़यंत्रों और कानूनी विवादों में फंसे रहते हैं।
इन लक्षणों से समझे कि आपको हो सकता है ये —
जब व्यक्ति को कालसर्प योग होता है। तो वह शारीरिक, मानसिक सभी प्रकार से परेशान होता है। उसे कभी रोजगार संंबंधी परेशानी आती है। तो कभी उसके बनते काम बिगड़ने लगते हैं। संतान संबंधी कष्ट भी झेलने पड़ जाते हैं। व्यक्ति की संतान नहीं होती। अगर होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। मानसिक रूप से परेशानी की स्थिति में रहने वाला, धन के लिए कष्ट पूर्ण और हर काम में रुकावट परेशानी और पैसों की किल्लत, जीवन भर उसे समय-समय पर परेशान करती रहती है।
कालसर्प योग से ग्रसित व्यक्ति के जीवन में कभी भी राजयोग नहीं आता। उसके जीवन में हर प्रकार की बाधाएं उसे नकारात्मक सोच का धनी बना देती हैं। जब केतु से राहु के बीच में सभी गृह उपस्थित हों तथा केतु से राहु के बीच में कोई भी भाव रिक्त न हो तब कुंडली में बनने वाला ऐसा योग पूर्ण कालसर्प योग कहलाता है।
12 प्रकार के होते हैं कालसर्प योग —
1 — अनन्त कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली में राहु लग्न में और केतु सप्तम में और उसके बीच सभी ग्रह हों तो अनन्त कालसर्प योग बनता है।
2 — कुलिक कालसर्प योग
राहु दूसरे घर में और केतु अष्टम स्थान में हो। सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक नामक कालसर्प योग बनता है।
3 — वासुकी कालसर्प योग
राहु तीसरे घर में और केतु नवम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो वासुकी नामक कालसर्प योग बनता है।
4 — शंखपाल कालसर्प योग
राहु चौथे स्थान में और केतु दशम स्थान में हो इसके बीच सारे ग्रह हों तो शंखपाल नामक कालसर्प योग बनता है।
5 — पद्म कालसर्प योग
राहु पंचम व केतु एकादश भाव में तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है।
6 — महापद्म कालसर्प योग
राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म कालसर्प योग बनता है।
7 — तक्षक कालसर्प योग
केतु लग्न में और राहु सप्तम स्थान में हो तो तक्षक नामक कालसर्प योग बनता है।
8 — कर्कोटक कालसर्प योग
केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में हो तो कर्कोटक नाम कालसर्प योग बनता है।
9 — शंखचूड़ कालसर्प योग
केतु तीसरे स्थान में व राहु नवम स्थान में हो तो शंखचूड़ नामक कालसप्र योग बनता है।
10 — घातक कालसर्प योग
केतु चतुर्थ तथा राहु दशम स्थान में हो तो घातक कालसर्प योग बनाते हैं।
11 — विषधार कालसर्प योग
केतु पंचम और राहु ग्यारहवे भाव में हो तो विषधर कालसर्प योग बनाते हैं।
12 — शेषनाग कालसर्प योग
केतु छठे और राहु बारहवे भाव में हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाएं तो शेषनाग कालसर्प योग बनता है।
अगर इनकी कुंडली में हो, तो खुल जाती है किस्मत —
कुण्डली में जब राहु अपनी उच्च राशि वृष या मिथुन में होता है तो ऐसे लोग राहु की दशा में खूब सफलता पाते हैं। कालसर्प योग वाले व्यक्ति की कुंडली में जब गुरू और चन्द्र एक दूसरे से केन्द्र में हों या साथ बैठें हों तो ऐसा व्यक्ति भी निरंतर उन्नति करते हैं।
काल सर्प के उपाय —
- राहु और केतु ग्रहों की शांति के उपाय करें।
- काल सर्प दोष निवारण यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
- आप सर्प मंत्र और सर्प गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
- भैरव देव की उपासना करना भी फलदायी माना गया है।
- किसी मंदिर में शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं।
- श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- शिव जी को चंदन की लकड़ी चढ़ाएँ।
- नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर की साफ़-सफाई करें।