Driving License Test: असामान्य घटनाओं और निराश करने वाली खबरों के बीच दिन भर में एक-आध खबरे ऐसी भी आती हैं जिन्हें सुनकर कान को अच्छा लगता है और हौंसला भी मजबूत होता है। ऐसी ही एक खबर हैदराबाद से आई है। जहां ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ Koshish Karne Walon Ki Haar Nahin Hoti कविता सच साबित हुई। नामुमकिन से दिखने वाले इस चीज को मुमकिन कर दिखाया है, 42 वर्षीय गतिपल्लि शिवपाल Gattipally Shivpal ने। गतिपल्लि भारत के पहले बौने Dwarf Man हैं जिन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस driving licence check हासिल किया है।
उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था
शिवपाल अपनी मेहनत के लिए पूरे जिले में जाने जाते हैं। कार चलाने के अलावा वे अपने जिले के पहले दिव्यांग हैं, जन्होंने पढ़ाई के मामले में डिग्री हांसिल की है। बतादें कि शिवपाल को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में उन्होंने खुद ड्राइविंग सीखने का फैसला किया। मीडिया से बात करते हुए शिवपाल ने कहा कि लोग मेरे कद का मजाक उड़ाते हैं, लेकिन इसी कद की वजह से आज मेरा नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स Limca Book of Records में दर्ज है।
दिव्यांगों के लिए खोलेंगे ड्राइविंग स्कूल
बाता दें कि शिवपाल का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के अलावा तेलगु बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। शिवपाल आगे कहते हैं कि कई बौने लोग अब मुझेसे कार चलाने की ट्रेनिंग लेना चाहते हैं। ऐसे में मैंने फैसला किया है कि अब मैं दिव्यांगों के लिए ड्राइविंग स्कूल Driving School खोलूंगा।
जब मीडिया ने उनसे पूछा की ड्राइविंग के दौरान आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा होगा, इस पर शिवपाल करते हैं कि हां मुझे ड्राइविंग के दौरान कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद मैंने हार नहीं मानी और आज कड़ी महेनत से ये ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किया है।
प्रेरणा कहां से मिली?
मीडिया के इस सवाल पर उन्होंने बताया कि एक बार मैं अपने स्मार्टफोन में कुछ विडियो देख रहा था। तभी मेरे सामने अमेरिका के एक बौने आदमी का एक वीडियो आया। वीडियो में वो बड़े आराम से कार चला रहा था। इसके बाद मैंने सोचा क्यों न इस काम को अब मैं भी करूं। पहले मैं US गया और इसकी तकनीकी जानकारी ली। तमाम जानकारी हासिल करने के बाद वापस जब वापस भारत लौटा तो यहां एक मैकेनिक की मदद से अपने कार को कस्टमाइज करवाया।
दोस्त ने की मदद
हालांकि शिवपाल की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती है। जब वे अपने कस्टमाइज कार के साथ ड्राइविंग स्कूल गए तो उन्हें वहां ड्राइविंग सिखाने से मना कर दिया गया। एक-दो नहीं बल्कि 120 ड्राइविंग स्कूल ने उन्हें मना कर दिया था। ऐसे में उन्होंने अपने एक दोस्त की मदद से कार चलाना सिखा और फिर ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करके देश के पहले बौने बन गए हैं जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस हैं।