तुकोगंज पुलिस थाने के प्रभारी कमलेश शर्मा ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से इस बात की पुष्टि की। उन्होंने फारुकी के मामले की ताजा स्थिति पूछे जाने पर बताया, “हमने फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश करने की अनुमति के लिए राज्य सरकार को 29 जनवरी को पत्र भेजा था। हमें अभी यह मंजूरी नहीं मिली है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंजूरी मिलने के बाद फारुकी समेत पांचों लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश कर दिया जाएगा क्योंकि मामले में पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है।
थाना प्रभारी के अनुसार, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के मुताबिक भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए के तहत दर्ज किसी मामले में अदालत में आरोपपत्र पेश किए जाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लिया जाना कानूनन जरूरी है। शर्मा ने यह भी बताया कि रविवार को बेंगलुरू में फारुकी का शो रद्द किए जाने से पहले कर्नाटक पुलिस ने फारुकी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले का ब्योरा इंदौर पुलिस से मांगा था। उन्होंने बताया, ‘‘हमने इंदौर में फारुकी के खिलाफ दर्ज मामले की जानकारी बेंगलुरु पुलिस के साथ साझा की थी।’’
गौरतलब है कि बेंगलुरु पुलिस ने हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के प्रदर्शन के बीच रविवार को शहर में फारुकी के “स्टैंड-अप” हास्य कार्यक्रम को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इन संगठनों का आरोप है कि हास्य कलाकार ने अपने एक कार्यक्रम में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाई थी।
इंदौर पुलिस ने भाजपा की एक स्थानीय विधायक के बेटे की शिकायत पर धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर आहत करने के मामले में फारुकी और चार अन्य लोगों को भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए तथा अन्य प्रावधानों के तहत एक जनवरी की रात शहर के एक कैफे से गिरफ्तार किया था। फारुकी इंदौर के केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत के तहत 35 दिन बंद रहे थे। उन्हें मामले में उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद छह फरवरी को देर रात जेल से रिहा किया गया था।
इंदौर। हिंदू देवी-देवताओं पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर इंदौर में जनवरी के दौरान दर्ज बहुचर्चित मामले में हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस जिला अदालत में अब तक आरोप पत्र पेश नहीं कर सकी है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि इस मामले में भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य) के तहत आरोप पत्र पेश करने के लिए पिछले 10 महीनों से राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।