नयी दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू kiren rijiju statement ने शनिवार को यहां कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से सतत न्याय प्रदान करने और लंबित मामलों की बड़ी संख्या को कम करने में ‘आश्चर्यजनक तरीके’ से मदद मिल सकती है। उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मामला संख्या प्रबंधन, मामला प्रबंधन निपटान दर सहित विभिन्न अदालत प्रबंधन औजारों को लागू करने में मदद कर सकती है। इससे न्यायिक कामकाज की दक्षता में वृद्धि होगी।
न्यायाधीशों की सहायता कर सकती हैं
उन्होंने कहा कि भारत में अदालतें पहले से ही डिजिटल होकर एक व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रही हैं, इसलिए एआई का उभरता क्षेत्र सतत न्याय सुनिश्चित करने और लंबित मामलों की बड़ी संख्या को कम करने में आश्चर्यजनक तरीके से मदद कर सकता है। मंत्री ने कहा कि मशीनें निश्चित रूप से मानव न्यायाधीशों की जगह नहीं ले सकतीं, लेकिन वे सटीक और निष्पक्ष राय देकर फैसला करने की प्रक्रिया में न्यायाधीशों की सहायता कर सकती हैं।
सभी को आसानी से और समय पर न्याय मिल सके
उन्होंने कहा कि मानव ज्ञान के साथ एआई के समन्वय से न्याय प्रदान करने में तेजी लाने में मदद मिल सकती है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, देश के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। रिजिजू ने कहा कि मौजूदा सरकार अधीनस्थ न्यायपालिका को अच्छी तरह से सुसज्जित न्यायिक बुनियादी ढांचा मुहैया कराने की जरूरतों के प्रति संवेदनशील है, ताकि सभी को आसानी से और समय पर न्याय मिल सके।