नई दिल्ली। केंद्र सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में नया बिजली बिल पेश कर सकती है। माना जा रहा है कि इस बिल के पेश होते ही मुफ्त में बिजली जलाने वालों के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। आइए जानते हैं क्या है इस नए बिजली बिल में?
सरकार बिजली कंपनियों को सब्सिडी देना बंद करेगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बिल की सबसे खास बात यह है कि सरकार बिजली कंपनियों को अब सिधे तौर पर सब्सिडी देना बंद कर देगी। यह सब्सिडी अब ग्राहकों के खाते में दी जाएगी। पूर्व में भी रसोई गैस के मामले में सरकार ग्राहकों के खाते में सीधे सब्सिडी देती रही है। हालांकि इसका सीधा असर उपभोक्ता पर पड़ेगा। जानकारों की मानें तो एक तय बिल तक मिलने वाली मुफ्त बिजली के अच्छे दिन अब खत्म होने वाले हैं। क्योंकि नए बिल में जो प्रावधान किए गए हैं उसके अनुसार राज्य सरकारें मुफ्त बिजली नहीं दे पाएंगी। हालांकि, अभी कुछ इसपर साफ-साफ नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि इससे होने वाले नुकसान को सरकार भी ध्यान में रखेगी और ऐसी स्थिति में सरकार एक तय वर्ग को सब्सिडी दे सकती है।
वर्तमान में क्या व्यवस्था है?
वर्तमान में राज्य सरकारें डिस्ट्रीब्यूटर बिजली कंपनियों को एडवांस में सब्सिडी देती हैं और इसी सब्सिडी के आधार पर बिजली की दरें तय की जाती हैं। लेकिन नए बिजली बिल के ड्राफ्ट में बिजली कंपनियों को सब्सिडी नहीं देने की बात कही गई है, इसलिए बिजली की दरों के बढ़ने की आशंका हमेशा बनी रहेगी।
केंद्र सरकार क्यों ला रही है यह बिल?
दरअसल, बिजली वितरण कंपनियों का कहना है कि वो इस समय बड़े स्तर पर घाटे से जूझ रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस समय बिजली कंपनियां करीब 50 करोड़ रूपये घाटे में चल रही हैं। वहीं डिसकॉम पर कंपनियों का 95 हजार करोड़ का बकाया है। डिसकॉम को सब्सिडी मिलने में देरी होती है, जिससे वितरण कंपनियां संकट में हैं। ऐसी ही कई चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार इस बिल को लाने की तैयारी में है।
नए बिजली बिल कानून में कुछ पेंच भी है
हालांकि, नए बिजली बिल कानून में कुछ पेंच भी है, जैसे- नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ताओं को बिजली बिल की सब्सिडी कैसे मिलेगी। क्योंकि बिजली का बिल मकान मालिक, जमीन या दुकान के मालिक के नाम पर आता है। ऐसे में केवल इन्हें ही सब्सिडी मिल पाएगी। लेकिन जो लोग किराए के मकान में रहते हैं उन्हें कैसे सब्सिडी मिलेगी, अभी तक इसको लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। इसके अलावा अगर सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी में देरी होती है तो इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और उनपर पहले से अधिक आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
ये तो बात थी शहरों की। ग्रामीण इलाकों में चुनौती और बड़ी है। क्योंकि आज भी देश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में बिना मीटर के बिजली दी जाती है। ऐसे में उनसे बिजली बिल किस आधार पर वसूल किया जाएगा, यह बड़ा सवाल है।