नई दिल्ली। अगर आप विज्ञान में रूची रखते हैं तो आपने एक क्लॉक के बारे में काफी सुना होगा। जिसका नाम है ‘डूम्स डे क्लॉक’ (Doomsday Clock)। अगर आपने इस क्लॉक का नाम नहीं सुना है तो चलिए आज हम आपको इस क्लॉक के बारे में विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, वर्ष 1945 में जब अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के दो बड़े शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए तो वैज्ञानिकों को एहसास हो गया था कि इन खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल से दुनिया को बस कुछ ही मिनटों में खत्म किया जा सकता है। क्योंकि आने वाले समय में परमाणु बम को लगभग सभी देश अपनी सुरक्षा के लिए बनाकर रखेंगे।
इस कारण से वैज्ञानिकों ने यह घड़ी बनाई
इन्हीं चिंताओं के बीच वैज्ञानिकों ने एक घड़ी बनाने की सोची जो दुनिया को इस बारे में आगाह करें कि इंसानों के कौन से कार्य पृथ्वी के खात्में का कारण बन सकते हैं। ऐसे में 15 वैज्ञानिकों के एक दल ने संगठन बनाया। इस संगठन में स्टीफन हॉकिंग भी शामिल थे। संगठन का नाम रखा गया ‘द बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स’ (The Bulletin of the Atomic Scientists) डूम्स डे क्लॉक को आगे पीछे करने का काम वैज्ञानिकों का यह संगठन ही करता है।
क्या है डूम्स डे क्लॉक?
डूम्स डे क्लॉक एक प्रतीकात्मक घडी है जो मानव गतिविधियों के कारण उपजे वैश्विक तबाही की संभावना को बताती है। इस घड़ी में 12 बजने का मतलब यह होता है कि अब दुनिया कभी भी खत्म हो सकती है। मालूम हो कि डूम्स डे क्लॉक में सबसे पहली बार समय को 1947 में रात के 12 बजने से 7 मिनट पहले सेट किया गया था। जिसे वैज्ञानिकों का संगठन मैनेज करता है। अगर संगठन को लगता है कि किसी परमाणु हमले या किसी और कारण से मानव के अस्तित्व को खतरा है तो यह संगठन इस डूम्स डे क्लॉक की सुइयों को 12 बजे के करीब कर देता है। संगठन को जब लगता है कि अब खतरा टल गया है तो फिर से सुइयों को दोबारा 12 बजने से कुछ मिनट दूर सेट कर दिया जाता है।
डूम्स डे क्लॉक में कितनी बार हुआ है परिवर्तन
जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया कि इस घड़ी में 12 बजने का मतलब है कि अब धरती खत्म होने वाली है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि क्या इस घड़ी में एक बार भी समय बदला है या नहीं? आपको बता दें कि अब तक इस घड़ी का समय 22 बार बदला जा चुका है। हाल के दिनों में उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए इसे 2 मिनट आगे बढ़ा दिया गया था। जिसका सीधा मतलब था कि मानवता के विनाश का समय और करीब आ गया है।
वहीं वर्ष 1969 में जब परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty) पर हस्ताक्षर किए गए, तो इस घड़ी की सुइयां पीछे हटा कर आधी रात से 10 मिनट की दूरी पर कर दी गयी थीं। जिसका मतलब था दुनिया सेफ जोन में है।
डूम्स डे क्लॉक में परिवर्तन के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेदार हैं?
(1). परमाणु युद्ध या इसकी संभावना
(2). जलवायु परिवर्तन
(3). जैव सुरक्षा
(4). जैव आतंकवाद
(5). साइबर अपराध
(6). हैकिंग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कई खतरे
(7). उच्च पदस्थ लोगों की भड़काऊ बयानबाजी