भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 18 नवंबर 1946 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके जन्मदिन के इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। कमलनाथ को सियासी गलियारों में ‘बाजीगर’ कहा जाता है। कमलनाथ की क्षमता और काबिलियत पर उनके विरोधी भी संदेह नहीं करते हैं। संभवत: कमलनाथ आज के समय में कांग्रेस के इकलौते नेता हैं, जिनकी निकटता गांधी परिवार में तीनों पीढ़ियों से रही है। उन्हें आज मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा माना जाता है। एक समय था जब लोग कमलनाथ के बारे में नारे लगाते थे कि “इंदिरा गांधी के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ”। आइए आज हम आपको इस नारे के पीछे की कहानी बताते हैं।
संजय गांधी से गहरी दोस्ती
जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया कि कमलनाथ का जन्म आज ही के दिन 1946 में कानपुर में हुआ था। ऐसे में उनकी शुरूआती पढ़ाई कानपुर में हुई। हालांकि उनके पिता महेंद्र नाथ चाहते थे कि बेटा देश का एक बड़ा वकील बने। इसलिए उन्होंने कमलनाथ का दाखिला देहरादून के दून स्कूल में कराया। जिस समय कमलनाथ दून स्कूल में पढ़ रहे थे, उस समय भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी भी वहीं पढ़ रहे थे। दोनों एक दूसरे के संपर्क में आए और गहरी दोस्ती हो गई। जानकार मानते हैं कि ये दोस्ती आज तक कायम है। आज भी कमलनाथ के भोपाल और छिंदवाडा स्थित दफ्तर और घर में संजय गांधी की तस्वीर देखी जा सकती है।
संजय गांधी के कहने पर यूथ कांग्रेस में शामिल हुए
दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ अपने दोस्त संजय गांधी के कहने पर यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए। दोनों को कहीं भी हमेशा एक साथ देखा जाता था। या यूं कहें कि कमलनाथ संजय के साथ परछाई की तरह रहते थे। हालांकि कमलनाथ तब सक्रिय रूप से राजनीति में नहीं आए थे। यही कारण है कि वे आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज चले गए और दोनों की दोस्ती में दूरियां आ गईं, हालांकि ये दूरियां रिश्तों के स्तर पर नहीं आईं थी। बल्कि जगह चेज होने के कारण आई थी। दोनों जब भी मिलते थे पुराने अंदाज में ही मिलते थे। कमलनाथ के कोलकाता जाने के बाद संजय गांधी अपनी मां इंदिरा गांधी के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए।
दोस्त के लिए जेल पहुंच गए
इसी दौरान भारतीय राजनीति में साल 1975 का भी दौर आया जब देश को आपातकाल का सामना करना पड़ा। जनता कांग्रेस से नाराज थी। ऐसे में 1977 के आम चुनाव में देश में जनता पार्टी की सरकार बनी और संजय गांधी को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया। कमलनाथ को जैसे ही पता चला कि उनका दोस्त जेल में है, उन्होंने तुरंत कोर्ट का रूख किया और जज के साथ बदतमीजी कर तिहाड़ जेल पहुंच गए ताकि उनके साथी को जेल में कोई परेशानी न हो। इस घटना ने उन्हें इंदिरा गांधी के गुड बुक में ला दिया।
इंदिरा गांधी ने कहा कमलनाथ मेरा तीसरा बेटा है
हालांकि, कांग्रेस इस समय बेहद ही कठिन दौर से गुजर रही थी। क्योंकि पार्टी सत्ता से बाहर थी और कांग्रेस में उठापटक का दौर जारी था। यही वो वक्त था जब कमलनाथ को संजय गांधी के जिगरी दोस्त होने का फायदा मिला। पार्टी ने उन्हें 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से टिकट दिया। इंदिरा गांधी खुद कमलनाथ के लिए प्रचार करने छिंदवाड़ा गई थीं। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए अपने भाषण में कहा- मैं नहीं चाहती कि आप लोग कांग्रेस नेता कमलनाथ को वोट दें, बल्कि मैं चाहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दें।
नारा लगा-इंदिरा गांधी के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ
इसी भाषण के बाद लोगों ने नारा लगाया ” इंदिरा गांधी के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ”। कमलनाथ पहली बार चुनाव जीतकर छिंदवाड़ा से लोकसभा पहुंचे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने आदिवासी बहुल छिंदवाड़ा जिले की तस्वीर ही बदल दी। यही कारण है कि कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद बने। यहां उन्होंने स्कूल-कॉलेज और आईटी पार्क बनवाए। वेस्टर्न कोलफील्ड्स और हिंदुस्तान यूनीलिवर जैसी कंपनियां खुलवाईं। साथ में क्लॉथ मेकिंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, ड्राइवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी उनकी ही देन है।