नई दिल्ली। देश को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय सेना अक्सर आंतरिक और बाह्य ऑपरेशन चलाते रहती है। चाहे साल 2016 में पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करना हो या फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन ऑल आउट चलाना। सेना समय-समय पर ऑपरेशन को अंजाम देते रहती है। पाकिस्तान में घुसकर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना ने करीब 70 आतंकियों को मार गिराया था। इस दौरान सबसे खास बात ये रही थी कि भारतीय सेना का कोई जवान इस ऑपरेशन में शहीद नहीं हुआ था।
दिलचस्प किस्सा
इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र रामराव निंभोरकर ने एक कार्यक्रम के दौरान एक दिलचस्प किस्सा बताया था। दरअसल, सर्जिकल स्ट्राइक से पहले भारतीय सेना ने बेहद बारीकी से तैयारी की थी। ऑपरेशन से जुड़ी हर एक चीज पहले से ही तय थी। इन्हीं तैयारियों में से एक तेंदुए का पेशाब भी था, जिसने इस ऑपरेशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
सेना अपने साथ तेंदुए का पेशाब लेकर गई थी
निंभोरकर ने बताया था कि, हमें पहले से पता था कि अगर हम हमला करेंगे तो वहां के आवारा कुत्ते हमारी आहट सुनकर भौंकने लगेंगे। ऐसे में भारतीय सेना अपने साथ तेंदुए का पेशाब लेकर गई थी। क्योंकि जंगल में तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला करते हैं और इन हमलों से बचने के लिए कुत्ते रात के समय बस्ती में ही रहते हैं। इसलिए हम पहले से ही अलर्ट थे।
सीक्रेट ऑपरेशन के दौरान किया जाता है इसका इस्तेमाल
भारतीय सेना जब पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर घुस गई तो प्लान के मुताबिक कुत्तों को शांत रखने के लिए तेंदुए के पेशाब का इस्तेमाल किया गया था। सेना ने तेंदुए के मल-मूत्र को गांव के बाहर ही छिड़क दिया था, ताकि कुत्ते तेंदुए की आहट से भौंके नहीं और सेना आसानी से सीमा पार करके अपना ऑपरेशन जारी रख सके। हुआ भी कुछ ऐसा ही। अगर इस दौरान कुत्ते भौंकने लगते तो पूरा ऑपरेशन मिनटों में विफल हो जाता। कहा जाता है कि ‘भारतीय सेना’ अपने हर सीक्रेट ऑपरेशन के दौरान ‘तेंदुए के मल मूत्र’ का इस्तेमाल करती है।