नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में रेस्तरां और बार में थोड़े समय के लिए ‘हर्बल हुक्कों’ के उपयोग की मंगलवार को अनुमति दे दी और कहा कि आजीविका की कीमत पर कोविड-19 प्रतिबंधों को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। ‘हर्बल हुक्के’ जैविक जड़ी बूटियों से बने होते हैं और उसमें तंबाकू नहीं होता। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कई रेस्तरां तथा बार की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनाई करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी के मद्देनजर यह प्रतिबंध लगाया गया था और इसे ‘‘हमेशा जारी नहीं रखा जा सकता’’।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शहर में सिनेमाघर और स्विमिंग पूल भी अब पूर्ण क्षमता के साथ खुल गए हैं। याचिका में ‘हर्बल हुक्कों’ की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आग्रह किया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह केवल अंतरिम राहत प्रदान कर रहा है और इसके लिए याचिकाकर्ताओं को एक हलफनामा देना होगा कि वे ‘हर्बल हुक्कों’ की बिक्री करते समय कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करेंगे। इस मामले में अब नौ फरवरी को आगे सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ताओं के हलफनामा करने पर, मामले की अगली सुनवाई तक प्रतिवादी (दिल्ली सरकार) हर्बल हुक्कों की बिक्री पर कोई पाबंदी नहीं लगाएगा। कोविड-19 के मामले बढ़ने पर प्रतिवादी अदालत आ सकता है। ’’ अदालत ने दिल्ली सरकार को याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया और यदि अन्य रेस्तरां तथा बार कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए हर्बल हुक्का बेचने की अनुमति मांगते हैं, तो वह इस पर ‘‘खुद फैसला’’ ले।
पश्चिमी पंजाबी बाग के ब्रेथ फाइन लाउंज एंड बार, टीओएस, आर हाई स्पीडबार एंड लाउंज, वेरांडा मूनशाइन और सिक्स्थ एम्पायरिका लाउंज द्वारा अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें कहा गया था कि वे ‘हर्बल हुक्का’ की बिक्री कर रहे थे, (जिसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनमें बिल्कुल भी तंबाकू नहीं होता) लेकिन पुलिस फिर भी छापेमारी कर रही है, उपकरण जब्त कर रही है और चालान कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (लाइसेंसिंग यूनिट) के उस आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें हर्बल हुक्के की बिक्री या सेवा पर रोक लगाई गई थी।