नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कहा कि दल बदल कानून को लेकर सी पी जोशी समिति की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है तथा इस पर विचार विमर्श करने के बाद वह सरकार से आग्रह करेंगे कि इसके आधार पर कानून के जिन खंडों में परिवर्तन की जरूरत है, उनके बदलाव लाया जाए । बिरला ने संवाददाताओं से कहा कि देहरादून में हुई पूर्व की बैठक में कई पीठासीन अधिकारियों ने अपने असीमित अधिकारों को सीमित करने की बात कही थी ।
उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों का कहना था कि इसस पारदर्शिता की कमी की स्थिति पैदा हो रही है । ऐसे में दल बदल कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिये एक समिति का गठन किया गया । गौरतलब है कि राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी की अध्यक्षता में इसके लिए समिति का गठन किया गया था । लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि समिति की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है और शिमला में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस पर विचार किया जायेगा ।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद हम सरकार से आग्रह करेंगे कि कानून के जिन खंडों में परिवर्तन की जरूरत है, उनमें बदलाव लाया जाए ।’’ लोकसभा उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष चुनने का फैसला सरकार का होता है । नयी संसद के निर्माण को लेकर एक सवाल के जवाब में बिरला ने कहा कि कोरोना के कारण पहले निर्माण कार्य 17 दिन पीछे चल रहा था लेकिन अब चीजें व्यवस्थित हो गई है और यह भवन तय समय पर तैयार हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि इसके लिए निर्माण कार्य का नियमित निगरानी हो रही है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती बाल दिवस के अवसर संसद में कार्यक्रम में स्पीकर, राज्ससभा के सभापति और मंत्रियों के उपस्थित नहीं रहने के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में बिरला ने कहा कि कहा कि जब वह रहते हैं तब अवश्य जाते हैं और 2019 एवं 2020 के कार्यक्रम में गए थे । उन्होंने कहा कि ऐसे में सवाल उठाते एवं ट्वीट करते समय बिना जानकारी के बात नहीं की जानी चाहिए ।