नई दिल्ली।
यह है नई शिक्षा नीति
नेशनल एजुकेशन पालिसी में शिक्षकों की गुणवत्ता का स्तर और ऊपर उठाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। New Education Policy, National Education Day नेशनल एजुकेशन पालिसी व्यवस्था में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के स्वरूप में भी बदलाव होंगे। अभी तक टीईटी परीक्षा दो हिस्सों में बंटी हुई थी- पार्ट 1 और पार्ट 2। लेकिन अब स्कूली शिक्षा व्यवस्था का स्ट्रक्चर चार हिस्सों में बंटा होगा – फाउंडेशन, प्रीपेरेटरी, मिडल और सेकेंडरी। इसी के आधार पर टीईटी का पैटर्न भी सेट किया जाएगा। विषय शिक्षकों की भर्ती के समय टीईटी या संबंधित सब्जेक्ट में एनटीए टेस्ट स्कोर भी चेक किया जा सकता है। सभी विषयों की परीक्षाएं और एक कॉमन एप्टीट्यूट टेस्ट का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) करेगा।
नई शिक्षा नीति के चार चरण
नेशनल एजुकेशन पालिसी को चार चरणों में विभाजित किया गया है जो कि 5+3+3+4 पैटर्न है। इस नए पैटर्न में 12 साल की स्कूली शिक्षा तथा 3 साल की प्री स्कूली शिक्षा शामिल है।न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को सरकारी तथा प्राइवेट दोनों संस्थानों को फॉलो करना होगा। न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2021 New Education Policy, National Education Day के चार चरण कुछ इस प्रकार है।
फाउंडेशन स्टेज
फाउंडेशन स्टेज 3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए हैं। जिसमें 3 साल की प्री स्कूल शिक्षा तथा 2 साल की स्कूली शिक्षा (कक्षा एक तथा दो) शामिल है। फाउंडेशन स्टेज के अंतर्गत भाषा कौशल और शिक्षण के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
प्रिप्रेटरी स्टेज
प्रिप्रट्री स्टेज के अंतर्गत 8 साल से लेकर 11 साल तक के बच्चे आएंगे। जिसमें कक्षा 3 से 5 तक के बच्चे शामिल है। इस स्टेज में बच्चों की भाषा और संख्यात्मक कौशल में विकास करना शिक्षकों का उद्देश्य रहेगा। इस स्टेज में बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा।
मिडिल स्टेज
मिडिल स्टेज के अंतर्गत कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे आएंगे। कक्षा 6 से बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी और उन्हें व्यवसायिक परीक्षण के साथ-साथ इंटर्नशिप भी प्रदान की जाएगी।
सेकेंडरी स्टेज
सेकेंडरी स्टेज में कक्षा 9 से 12 तक के बच्चे आएंगे। जैसे कि पहले बच्चे साइंस, कॉमर्स तथा आर्ट्स स्ट्रीम लेते थे। परंतु अब यह खत्म कर दिया गया है। अब बच्चे अपनी पसंद का सब्जेक्ट ले सकते हैं। जैसे कि बच्चे साइंस के साथ कॉमर्स का या फिर कॉमर्स के साथ आर्ट्स के भी ले सकते हैं।
नई शिक्षा नीति की विशेषताएं
• मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।
• National Education Policy के अंतर्गत शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा जिसमें मेडिकल और लॉ की पढ़ाई शामिल नहीं की गई है।
• पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था परंतु अब नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा। जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी और 3 साल की प्री स्कूली शिक्षा होगी।
• छठी कक्षा से व्यवसायिक परीक्षण इंटर्नशिप आरंभ कर दी जाएगी।
• पांचवी कक्षा तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में प्रदान की जाएगी।
• पहले साइंस, कॉमर्स तथा अर्ट स्ट्रीम होती थी। अब ऐसी कोई भी स्ट्रीम नहीं होगी। छात्र अपनी इच्छा अनुसार विषय चुन सकते हैं। छात्र फिजिक्स के साथ अकाउंट या फिर आर्ट्स का कोई सब्जेक्ट भी पढ़ सकते हैं।
• छात्रों को छठी कक्षा से कोडिंग सिखाई जाएगी।
• सभी स्कूल डिजिटल इक्विप्ड किए जाएंगे।
• सभी प्रकार की इकॉन्टेंट को क्षेत्रीय भाषा में ट्रांसलेट किया जाएगा।
• वर्चुअल लैब डिवेलप की जाएंगी।
नई शिक्षा नीति के लाभ
• नेशनल एजुकेशन पालिसी को लागू करने के लिए जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च किया जाएगा।
• पढ़ाई में संस्कृत और भारत की अन्य प्राचीन भाषाएं पढ़ने का विकल्प रखा जाएगा। छात्र अगर चाहे तो यह भाषाएं पढ़ सकते हैं।
• बोर्ड परीक्षाओं में भी बदलाव किया जाएगा। ऐसा हो सकता है कि साल में दो बार छात्रों के ऊपर से बोझ कम करने के लिए बोर्ड परीक्षाएं ली जाए।
• पढ़ाई को आसान बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी किया जाएगा।
• हाइर एजुकेशन से एमफिल की डिग्री को खत्म किया जा रहा है।
• एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को मैन सिलेबस में रखा जाएगा।
• छात्रों को 3 भाषा सिखाई जाएंगी जो कि राज्य अपने स्तर पर निर्धारित करेंगे।
• राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा तैयार की जाएगी।
• इस नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कई सारे संस्थान स्थापित किए जाएंगे जिससे कि यह पॉलिसी सुचारू रूप से चल पाए।
• नई नेशनल एजुकेशन पालिसी के अंतर्गत बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
• नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई छात्र कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाखिला लेना चाहता है तो वह पहले कोर्स से निश्चित समय तक ब्रेक ले सकता है और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकता है।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की कुछ मुख्य बातें
• उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ कई प्रविष्ठियां और निकास बिंदु होंगे।
• स्नातक कोर्स 3 या 4 साल के हो सकते हैं। जिसमें कई सारे एग्जिट ऑप्शन होंगे। जोकि उचित सर्टिफिकेशन के साथ होंगे जैसे कि यदि छात्र ने 1 साल स्नातक कोर्स में पढ़ाई की है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा, 2 साल के बाद एडवांस डिप्लोमा दिया जाएगा, 3 साल के बाद डिग्री दी जाएगी और 4 साल के बाद रिसर्च के साथ बैचलर की डिग्री दी जाएगी।
• एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का गठन किया जाएगा जिसमें छात्रों द्वारा अर्जित किया गए डिजिटल अकैडमी क्रेडिट हो विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों के माध्यम से संग्रहित किया जाएगा और इसे अंतिम डिग्री के लिए स्थानांतरित किया जाएगा और गिना जाएगा।
• ईलर्निंग पर जोर देकर पाठ्य पुस्तकों पर निर्भरता को कम करना भी इस नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का उद्देश्य है।
• राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा की पेशकश करेगी।
• 2030 तक हर जिले में कम से कम एक बड़ी बहु विषयक उच्च शिक्षा संस्थान का निर्माण किया जाएगा।
• 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहू विष्य संस्थान बनाने का लक्ष्य इस नई शिक्षा नीति में रखा गया है।
• भारतीय उच्च शिक्षा आयोग संपूर्ण उच्च शिक्षा के लिए एकमात्र निकाय होगा। (चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर)
• भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के पास चार वर्टिकल होंगे जो कि नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी काउंसिल, जनरल एजुकेशन काउंसिल, हायर एजुकेशन काउंसिल तथा नेशनल एक्रीडिटेशन काउंसिल होगा।
• शिक्षा नीति के अंतर्गत सरकारी तथा प्राइवेट शिक्षा मानव एक समान होंगे। तथा दिव्यांग जनों के लिए शिक्षा में बदलाव किया जाएगा।