इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में 18 साल से कम उम्र के किशोरों एवं बच्चों के बीच 11 नवंबर से सीरो सर्वेक्षण के दूसरे चरण की शुरुआत की जाएगी ताकि टीकाकरण के दायरे से बाहर इस आयु वर्ग के लोगों में कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता का मौजूदा स्तर पता लगाया जा सके। चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान इंदौर, राज्य में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला था। हालांकि, बढ़ते टीकाकरण के बीच इन दिनों जिले में महामारी के नये मामलों की तादाद बेहद कम रह गई है। इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया, “इंदौर में अगस्त में 18 साल से कम उम्र के 2,000 लोगों के बीच सीरो सर्वेक्षण कराया गया था। इसमें कुल 1,600 लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली थीं।’’
उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चलने वाले ‘‘सीरो सर्वेक्षण 2.0’’ के तहत इन 1,600 लोगों में से 527 का फिर से एंटीबॉडी परीक्षण कराया जाएगा ताकि पता चल सके कि इनमें कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता घटी तो नहीं है। दीक्षित ने बताया, ‘‘चूंकि 18 साल से कम उम्र के लोग अभी टीकाकरण के दायरे से बाहर हैं। लिहाजा सीरो सर्वेक्षण के परिणाम से यह भी पता चल सकेगा कि इस आयु वर्ग में कोविड-19 के खिलाफ स्वाभाविक रूप से विकसित हर्ड इम्युनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) का स्तर क्या है।’’
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति को फिर से आंकने के लिए 18 साल से कम उम्र के लोगों के बीच तीन महीने बाद सीरो सर्वेक्षण का तीसरा चरण शुरु किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि सीरो सर्वेक्षण में प्रतिभागी के रक्त के सीरम की जांच से पता लगाया जाता है कि अगर वह पिछले दिनों सार्स-सीओवी-2 (वह वायरस जिससे कोविड-19 फैलता है) के हमले का शिकार हुआ है, तो उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र ने किस तरह प्रतिक्रिया की है और उसके रक्त में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई हैं या नहीं।