नई दिल्ली। आपने अक्सर सुना होगा कि पेट्रोल की तुलना में डीजल कारें ज्यादा माइलेज देती हैं। भारतीय बाजार में जो कारें ज्यादा और बेहतर माइलेज देती हैं उन्हें ग्राहक काफी पसंद भी करते हैं।लेकिन कभी आपने सोचा है पेट्रोल गाड़ियों की तुलना में डीजल इंजन की गाड़ियां क्यों ज्यादा माइलेज देती हैं। आपके मन में भी यह सवाल आया होगा, चलिए आज हम आपको बताते हैं कि डीजल इंजन वाली कारें ज्यादा माइलेज क्यों देती हैं।
डीजल पेट्रोल से ज्यादा ऊर्जा देता है
एक इंधन के रूप में डीजल में ज्यादा ऊर्जा होती है। प्रति लीटर डीजल, प्रति लीटर पेट्रोल की तुलना में ज्यादा ऊर्जा पैदा करता है। डीजल में प्रति लीटर 38.6 मेगा जॉलेस (Mega Joules) उर्जा मिलती है जबकि एक लीटर पेट्रोल में केवल 34.8 मेगा डॉलेस यानी एमजी ऊर्जा मिलती है। Mega Joules ऊर्जा को मापने की यूनिट होती है। इसका मतलब यह हुआ कि आपको एक निश्चित मात्रा में पावर हासिल करने के लिए पेट्रोल की तुलना में कम डीजल जलाना पड़ेगा।
ऐसे काम करता है डीजल इंजन
डीजल एक ऐसा इंधन है जो पेट्रोल की तरह उच्च ज्वलनशील नहीं होता। हालांकि उच्च तापमान पर यह ऑटो इग्नाइट हो जाता है। यही वह सिद्धांत है जिस पर डीजल इंजन काम करते हैं। डीजल इंजन के सिलेंडर में उच्च अनुपात में हवा कंप्रेश होता है। यह अनुपात करीब 18:1 या 21:1 का होता है। हवा को कंप्रेश किए जाने से हीट पैदा होता है। इस तरह जब सिलेंडर के भीतर का तापमाम 210 डिग्री सेंटीग्रेट से ऊपर जाता है तो सिलेंडर में बहुत थोड़ी मात्रा में डीजल स्प्रे होता है। इस तरह इंजन में इग्निशन पैदा होता है। यही कारण है कि बेहद सर्दी के मौसम में डीजल इंजन को स्टार्ट करने में थोड़ा समय लगता है।
डीजल इंजन में सिलेंडर में इंधन स्प्रे किया जाता है
डीजल इंजन में सिलेंडर में इंधन स्प्रे किया जाता है। इस कारण से पेट्रोल की तुलना में इसकी खपत कम होती है। दूसरी तरह डीजल की बर्निंग कैपसिटी बेहतर होती है। यह धीरे-धीरे जलता है और लंबे समय तक जलता है। इस कारण से डीजल इंजन कभी भी उच्च आरपीएम रेंज तक नहीं पहुंचता है। इस तकनीक को अब पेट्रोल इंजन में भी कई कंपनियां ने अपनाया है। ताकि गाड़ियां बेहतर माइलेज दे सके।
हालांकि, फिर भी लोग डीजल इंजन से ज्यादा पेट्रोल इंजन वाली कारों को पसंद करते हैं। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स यानी सियाम की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 में देश में बिकने वाली कुल कारों में डीजल इंजन की हिस्सेदारी 58 फीसदी थी जो अब घटकर 17 फीसदी रह गई है।