रोम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के नतीजों को “सार्थक” बताया और कहा कि विश्व के नेताओं ने महामारी का मुकाबला करने, स्वास्थ्य ढांचा में सुधार करने, आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहन देने जैसे वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।
रविवार को संपन्न हुए दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान जी-20 के सदस्य देशों के नेताओं ने ‘रोम घोषणापत्र’ को स्वीकार किया गया। घोषणापत्र में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने पर बल दिया गया और कहा गया कि कोविड-19 रोधी टीकाकरण वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक हित में है।
मोदी ने ट्वीट किया, “रोम में सार्थक जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद ग्लासगो के लिए रवाना हो रहा हूं। इस सम्मेलन के दौरान हमने महामारी से मुकाबला करने, स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार करने, आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहन देने जैसे वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।”
इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने शिखर सम्मेलन के नतीजे पर कहा, “इस समझौते पर पहुंचना आसान नहीं था, लेकिन इसमें सफलता मिली। हाल के वर्षों में जी-20 देशों की साथ मिल कर काम करने की क्षमता घटी है लेकिन इस सम्मेलन में बदलाव देखने को मिला। जी-20 के सदस्य देश एक बार फिर से वैश्विक चुनौतियों का मिलकर सामना करने को तैयार हैं।”
द्रागी ने ट्वीट किया, “जी-20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी निभाते हुए हमने अंतरराष्ट्रीय कर नियमों में सुधार किया, स्वास्थ्य संरक्षणवाद से उबर पाए, दुनियाभर के गरीबों के लिए और अधिक मात्रा में टीका उपलब्ध कराया, और अधिक लोग उपचार से ठीक हो सकें, इसके लिए आधार तैयार किया तथा दुनिया के गरीब देशों के लोगों की सहायता के लिए नए तरीके अपनाने पर बल दिया।”
जी-20 में भारत के ‘शेरपा’ (प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि) पीयूष गोयल ने रविवार को कहा कि जी-20 देशों के नेता इस पर सहमत हुए कि कोविड-19 टीकों को आपातकालीन मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को मजबूत किया जाएगा। गोयल ने कहा कि जी-20 में ऊर्जा और जलवायु के मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहे। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए भारत समेत कई अन्य विकासशील देशों ने आवाज उठाई।
गोयल ने कहा, “प्रौद्योगिकी तथा किफायती वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए विकसित देशों ने जो रुचि दिखाई है उससे प्रतिबद्धता के वर्तमान स्तर को बढ़ाने की हमारी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए हमें विकसित देशों का साथ भी मिला है।”
उन्होंने कहा, “विकसित देशों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया और उन्हें भविष्य में वित्तीय सहायता तथा तकनीक उपलब्ध कराने में साथ देना होगा, ताकि हम स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की ओर आगे बढ़ सकें।” गोयल ने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुरक्षित करार दिए गए कोविड-19 रोधी टीकों को राष्ट्रीय और निजता के कानूनों का सम्मान करते हुए परस्पर मान्यता दी जाएगी।