नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देशों की गिनती में भारत दूसरे नंबर पर आता है। लेकिन फिर भी यहां दूध में मिलावट के मामले सबसे ज्यादा हैं। दूध असली है या नकली, ग्राहक हमेशा चिंतित रहता है। ऐसे में दूध नकली या फिर असली यह पता करना इतना आसान नहीं होता है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पद्धति विकसित की है जिससे आसानी से पता लगाया जा सकता है कि दूध असली है या नकली।
ऐसे लगाएं पता
आईआईएसी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सुस्मिता दास बताती हैं, “दूध में मिलावट एक बड़ी समस्या है, दूध में मिलावट पता करने के लिए हमने थोड़े से दूध को रखा और इवेपरेट होने का इंतजार किया, जब दूध पूरी तरह से गायब हो गया तो जो सॉलिड बचा उसमें अलग-अलग पैटर्न थे।” परीक्षण में पानी या फिर यूरिया मिले दूध और असली दूध सभी में अलग-अलग वाष्पीकरणीय पैटर्न पाया गया। मिलावटी दूध के वाष्पीकरणीय पैटर्न में एक केंद्रीय, अनियमित बूंद जैसा पैटर्न होता है।
पैटर्न विश्लेषण सबसे कारगर
लैक्टोमीटर की मदद से दूध में पानी की मात्रा तो पता कर ली जाती है, लेकिन वो भी पूरी तरह से सटीक नहीं होता है। उदाहरण के लिए, हिमांक बिंदु तकनीक दूध की कुल मात्रा का केवल 3.5% तक ही पानी का पता लगा सकती है। यूरिया के परीक्षण के लिए उच्च संवेदनशीलता वाले बायोसेंसर उपलब्ध तो हैं, पर वे महंगे हैं, और उनकी सटीकता समय के साथ घटती जाती है। इस प्रकार के पैटर्न विश्लेषण का उपयोग करके पानी की सांद्रता अधिकतम 30% तक और पतले दूध में यूरिया की सांद्रता न्यूनतम 0.4% तक पता लगाने में प्रभावी पायी गई है।
आने वाले समय में इसका भी किया जाएगा परीक्षण
शोधकर्ताओं ने अपने परीक्षण में पानी या फिर यूरिया मिले दूध और असली दूध सभी में अलग-अलग वाष्पीकरणीय पैटर्न पाया गया। मिलावटी दूध के वाष्पीकरणीय पैटर्न में एक केंद्रीय, अनियमित बूंद जैसा पैटर्न होता है। सुष्मिता आगे कहती हैं, “हमने देखा कि यूरिया या फिर पानी मिले दूध अलग-अलग पैटर्न है, यूरिया मिला दूध इवेपरेशन के बाद उसमें क्रिस्टल जैसे सॉलिड बच गए थे। अभी यह शुरूआती परीक्षण है, हमने अभी पानी और यूरिया मिलावटी दूध का परीक्षण किया था। आने वाले समय में हम तेल और डिटर्जेंट जैसे कई अन्य मिलावटों का परीक्षण करने वाले हैं।”
दूध में मिलावट गंभीर चिंता का विषय
दूध में मिलावट देश एक गंभीर चिंता का विषय है। विभिन्न अवसरों पर यह देखा गया है कि आपूर्ति होने वाले दूध की अधिकांश मात्रा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करने में विफल रहती है। दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए अक्सर उसमें पानी के साथ यूरिया मिलाया जाता है, जो दूध को सफेद और झागदार बनाता है। मिलावटी दूध से कई तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं।
कहीं भी किया जा सकता है ये परीक्षण
सुष्मिता के अनुसार यह तरीका बहुत आसान है, लेकिन सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि असली या फिर मिलावटी दूध का कैसा पैटर्न होगा। “इन तस्वीरों को किसी सॉफ्टवेयर में अपलोड कर सकते हैं, जहां पर कोई भी अपनी तस्वीर से इन्हें मिला सकता है, “सुष्मिता ने आगे कहा। यह परीक्षण कहीं पर भी किया जा सकता है। इसके लिए प्रयोगशाला या किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं होती है इसे दूरस्थ क्षेत्रों और ग्रामीण स्थानों में भी उपयोग किया जा सकता है। अभी प्रोफेसर सुष्मिता और उनकी टीम इस पर और काम कर रही है, ताकि आम लोगों और दूर किसी गांव तक इस जानकारी को पहुंचा सकें, जिससे असली या फिर नकली दूध की पहचान हो सके।
शहद में भी होती है मिलावट
दूध के साथ ही इस तकनीक की मदद से दूसरे लिक्विड पेय पदार्थों और प्रोडक्ट्स में भी मिलावट का परीक्षण कर सकते हैं। प्रोफेसर सुष्मिता कहती हैं, “इस पद्धति से जो पैटर्न मिलता है, वह किसी भी तरह की मिलावट के प्रति काफी संवेदनशील होता है। इस विधि का उपयोग वाष्पशील तरल पदार्थों में अशुद्धियों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। शहद जैसे उत्पादों के लिए इस पद्धति को आगे ले जाना दिलचस्प होगा, जिसमें अक्सर मिलावट होती है।”