टोक्यो। जापान की राजकुमारी माको ने एक आम नागरिक से शादी कर ली है, जिसके चलते उन्होंने अपना शाही दर्जा खो दिया है। हालांकि राजकुमारी के विवाह और उनका शाही दर्जा खत्म करने के मुद्दे पर जनता की राय बंटी हुई है। ‘इंपीरियल हाउसहोल्ड एजेंसी’ ने बताया कि माको और उनके प्रेमी केई कोमुरो के शादी के दस्तावेज मंगलवार सुबह महल के एक अधिकारी ने प्रस्तुत किए।
एजेंसी ने बताया कि वे दोपहर में एक संवाददाता सम्मेलन में इस संबंध में बयान जारी करेंगे, लेकिन इस दौरान पत्रकारों की ओर से कोई सवाल नहीं लिए जाएंगे। एजेंसी ने बताया कि महल के चिकित्सकों के अनुसार माको इस महीने की शुरुआत में तनाव से जूझ रही थीं, जिससे अब वह उबर रही हैं। अपनी शादी के बारे में नकारात्मक खबरों, खासकर कोमुरो को निशाना बनाए जाने के कारण माको काफी तनाव में थीं।
अपनाया पति का उपनाम
विवाह के बाद किसी भोज का आयोजन नहीं होगा और न ही कोई अन्य रस्में होंगी। माको(30) सम्राट नारुहितो की भतीजी हैं। वह और कोमुरो टोक्यो की ‘इंटरनेशनल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी’ में साथ पढ़ते थे। उन्होंने सितंबर 2017 में विवाह की घोषणा की थी, लेकिन उसके दो महीने बाद कोमुरो की मां से जुड़ा एक वित्तीय विवाद सामने आने के कारण शादी को टाल दिया गया था। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या विवाद पूरी तरह से हल हो गया है या नहीं।
30 वर्षीय कोमुरो 2018 में कानून की पढ़ाई करने के लिए न्यूयॉर्क गई थीं और पिछले महीने ही जापान लौटीं। जापान के शाही नियमों के अनुसार आम नागरिक से विवाह के बाद माको अब अपना शाही दर्जा खो चुकी हैं, उन्होंने अपने पति का उपनाम अपना लिया है। कानून के तहत विवाहित जोड़े का एक उपनाम का इस्तेमाल करना जरूरी है।
उपहार के तौर पर नहीं लिया धन
महल के अधिकारियों ने बताया कि माको ने 14 करोड़ येन (12.3 लाख डॉलर) लेने से भी मना कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शाही परिवार की वह पहली सदस्य हैं, जिन्होंने एक आम नागरिक से शादी करते समय उपहार के तौर पर कोई धन नहीं लिया। मंगलवार सुबह वह हल्के नीले रंग की पोशाक पहने और हाथ में एक गुलदस्ता लिए महल से बाहर आईं। वहां वह अपने माता-पिता क्राउन प्रिंस अकिशिनो, क्राउन प्रिंसेस किको और अपनी बहन काको से मिलीं।
खोया शाही दर्जा
‘इंपीरियल हाउस’ कानून के अनुसार, शाही परिवार की महिला सदस्यों के एक आम नागरिक से शादी करने पर, उन्हें अपना शाही दर्जा खोना पड़ता है। इस प्रथा के कारण शाही परिवार के सदस्य कम होते जा रहे हैं और सिंहासन के उत्तराधिकारियों की कमी है। नारुहितो के बाद, उत्तराधिकार की दौड़ में केवल अकिशिनो और उनके पुत्र प्रिंस हिसाहिटो हैं। सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की एक समिति इस संबंध में चर्चा कर रही है, लेकिन रूढ़िवादी अब भी महिला उत्तराधिकार या महिला सदस्यों को शाही परिवार का मुखिया ना बनाने पर अड़े हैं।