नई दिल्ली। भारत अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के नूरानांग में सेला सुरंग (Sela Tunnel) का निर्माण कर रहा है। इस सुरंग के पूरा होते ही भारतीय सेना का तवांग तक पहुंचना और हथियारों की आवाजादी बेहद आसान हो जाएगी। हालांकि इस सुरंग के निर्माण से चीन बौखला गया है। आइए जानते हैं भारत की दृष्टि से क्या है इस सुरंग की खासियत।
LAC पर जल्दी पहुंच सकेगी सेना
बतादें कि चीन की माकूल हरकतों का जवाब देने के लिए भारत अब पूरी तैयारी के साथ जुट गया है। इसी के तहत अरूणाचल प्रदेश के नूरानांग में 13 हजार फीट से अधिक की उंचाई पर इस सुरंग का निर्माण कराया जा रहा है। सुरंग निर्माण के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक सैनिकों और हथियारों को जल्दी और आसानी से पहुंचाया जा सकता है। यह सुरंग सेला दर्रे से होकर गुजरती है और उम्मीद है कि इस परियोजना के पूरा होने पर तवांग के जरिए चीन सीमा तक की दूरी कुछ किलोमीटर कम हो जाएगी।
2022 तक तैयार हो जाएगी सुरंग
बालीपारा-चारद्वार-तवांग (बीसीटी) रोड पर 700 करोड़ रुपये की लागत से बन रही सुरंग का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह 13,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर बनने वाली दुनिया की सबसे लंबी दो लेन की सुरंग होगी। सुरंग का निर्माण कार्य नूरानांग इलाके शुरू हो गया है। दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीने में कड़ाके की सर्दियों के दौरान यहां भारी बर्फबारी होती है, जिसके कारण सैनिकों और हथियारों की आवाजाही प्रभावित होती है। वहीं, पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के कारण सैनिकों और हथियारों की आवाजाही को तेज बनाने पर फोकस किया जा रहा है। 1.55 किलोमीटर लंबी और 13,700 फीट की ऊंचाई पर बन रही ये सुरंग अपने आखिरी चरण में पहुंच चुकी है। उम्मीद है कि 2022 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
6 किमी कम हो जाएगी दूरी
इस सुरंग को नए ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का इस्तेमाल करके बनाया जा रहा है। इसके बन जाने से आसानी से तवांग पहुंचा जा सकेगा। यह टनल हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नूरानांग में बन रही 1.55 किलोमीटर लंबी सुरंग तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों के बीच की यात्रा दूरी को छह किलोमीटर और यात्रा समय को कम से कम एक घंटा कम कर देगी।