नई दिल्ली। अंकों को लेकर शुभ-अशुभ की प्रथा काफी समय से चली आ रही है। लोग किसी अंक को शुभ मानते हैं तो किसी को अशु। खासतौर पर दुनिया भर में 13 नंबर को अशुभ माना जाता है। वहीं हिंदू धर्म में 108 अंक को शुभ माना जाता है। रूद्राक्ष की माला में भी कुल 108 संख्या होती है। साथ ही किसी से भी मंत्र का जाप 108 बार करने के लिए कहा जाता है। बतादें कि हिंदू धर्म के अलावा कुछ अन्य धर्मों में भी 108 को काफी शुभ माना जाता है। बैद्ध धर्म में पूजा की मालाओं में मनकों की संख्या 108 होती है। इसके अलावा जैन धर्म में भी 108 का काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं।
हिंदु धर्म में इस अंक को क्यों माना जाता है शुभ
बतादें कि हिंदु धर्म में 108 को शिव का अंक माना जाता है। क्योंकि मुख्य शिवांगों की संख्या 108 होती है। इसीलिए लिंगायत संप्रदायक में रूद्राक्ष की माला में कुल 108 मनके होते हैं। माना जाता है कि इस माला के जाप से शिव प्रसन्न होते हैं। वहीं, गौड़ीय वैष्णव धर्म में मान्यता है कि वृंदावन में गोपियां की कुल संख्या 108 थी। इस कारण से गोपियों का नाम जपने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही श्रीवैष्णव धर्म में भगवान विष्णु के कुल 108 दिव्य क्षेत्र बताए गए हैं। इसे दिव्यदेशम कहकर पुकारा जाता है।
बैद्ध धर्म में इसका महत्व
वहीं बैद्ध धर्म में कहा गया है कि व्यक्ति के मन में कुल 108 तरह की भावनाएं उत्पन्न होती हैं। यह संख्या, सूंघने, सुनने, कहने, खाने, प्यार, नफरत, दर्द, खशी आदि को मिलाकर बनाई गई है। कहा जाता है कि इन 108 भावनाओ से ही व्यक्ति का जीवन संचालित होता है। इसके अलावा बौद्ध धर्म के कई प्रसिद्ध मंदिरों में भी सीढ़ियों की संख्या 108 है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 108 अंक की महत्ता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियां होती हैं। इनमें 9 ग्रह विचरण करते हैं। यदि इन दोनों संख्याओं को गुणा किया जाए तो 108 अंक प्राप्त होता है। इस प्रकार से 108 अंक की महत्ता को व्यापक तौर से समझा जा सकता है।