नई दिल्ली। हम आमतौर पर बरसात के मौसम में पानी या ओले गिरते देखते हैं। लेकिन कभी न कभी आपने यह खबर पढ़ी या देखी होगी कि बारिश के समय आसमान से मछलियों की बरसात होने लगी।ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से सामने आया है। जहां सोमवार को बारिश के साथ मछली आसमान से गिरी। लोग इस घटना को देखकर हैरान रह गए। जैसे बारिश के दौरान पानी गिरती है वैसे ही चौरी इलाके के कंधिया फाटक के पास मछलियां गिरने लगी। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या ऐसा संभव है? आपके मन में भी यह सवाल कभी न कभी जरूर आया होगा। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है।
क्या सचमुच मछलियों की बारिश होती है?
जी हां, कई बार ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें मछलियों की बारिश हुई है। ये वही मछली होती है, जो पानी में पाई जाती है। तो फिर ऐसा क्या होता है कि ये मछिलियां आकाश में पहुंच जाती हैं? बतादें कि कुछ वैज्ञानिकों ने इस घटना पर विस्तार से अध्ययन किया है। उनकी माने तो ये सब जलस्तम्भ या बवंडर के कारण होता है। जब बवंडर समंदर के धरातरल को पार करते हैं, तो ऐसी अवस्था में पानी के तुफान का रूप ले लेते हैं।
तूफान अपने अंदर मछलियों के साथ इन्हें भी समा लेता है
तब यह पानी का तूफान मछलियों के साथ अन्य जीवों यहां तक कि सांप, केकड़ों, कछुओं और घड़ियालों को भी अपने अंदर समा लेता है। मछलियां और अन्य जीव बवंडर के साथ उड़ने लगती हैं और तब तक उड़ती रहतीं हैं, जब तक कि हवा की रफ्तार कम न हो जाए। जब हवा की रफ्तार कम होती है, तो ये जमीन पर गिरने लगती हैं। देखने वाले लोगों को ऐसा लगता है कि मछलियों की बारिश हो रही है।
बारिश तक तूफान कई किलोमीटर का सफर तय कर चुका होता है
बतादें कि यह दोनों प्रक्रिया यानी तूफान और बारिश एक ही स्थान पर हो ये जरूरी नहीं है। दरअसल, बवंडर को उठने और थमने में समय लगता है और तब तय यह कई किलोमीटर की दूरी तय कर चुका होता है। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि जहां से बवंडर उठता है वहां पर बारिश के होने की संभावना कम ही होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार और बिल इवांस की मौसमशास्त्र पुस्तक ‘It’s Raining Fish and Spiders’ के अनुसार हर साल लगभग 40 बार विश्व के अनेक जगहों पर ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है। इस प्रक्रिया में जो हलके जीवों को खिंच कर ऊपर ले जाते है, कभी-कभी इन पर बरफ की परद भी चढ़ जाती है, जो कि बारिश बनकर गिरने से बहुत ही आश्चर्यजनक सी लगती है और खतरनाक भी हो सकती है।