भोपाल। अशोका गार्डन से 12 साल के बच्चे के अपहरण की खबर के बाद पुलिस करीब 11 घंटे तक चकरघिन्नी बनी रही। बाद में टावर लोकेशन के आधार पर जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे अधिकारियों की मदद से उसे नीमच स्टेशन पर ट्रेन से उतार लिया गया। इसके लिए ट्रेन का स्टॉपेज टाइम बढ़ाना पड़ा। थाना प्रभारी आलोक श्रीवास्तव के मुताबिक बच्चा बड़े पिताजी के साथ रहता है और आठवीं में पड़ता है। 7 अक्टूबर की सुबह 11:30 बजे वह कोचिंग के लिए घर से निकला था देर तक नहीं लौटा तो पिता ने कई बार फोन लगाया लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। बाद में उसे एसएमएस भेजा तो जवाब में उसने लिखा उसका अपहरण हो गया है। इसके बाद अशोका गार्डन थाने में सूचना अपहरण की भनक लगते ही पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे खंगाले, स्टेशन और बस स्टैंड पर पूछा लेकिन बच्चे का पता नहीं चला। पुलिस ने मोबाइल लोकेशन निकाली तो वह अकोदिया शाहजहांपुर की मिली। मालूम हुआ उज्जैन दाहोद और हॉलिडे स्पेशल अजमेर हैदराबाद गाड़ी भोपाल से उस रूट पर निकली है। पुलिस को पता चला कि बच्चा मंदसौर जाने वाली ट्रेन में है।
मंदसौर में भी कराया चेक
इसके बाद जीआरपी और आरपीएफ से को-ऑर्डिनेटर कर मंदसौर में ट्रेन को चेक कराया गया, लेकिन गाड़ी पहले ही छूट गई। रेलवे अधिकारियों की मदद से नीमच में ट्रेन का स्टॉपेज भी बढ़ाया गया था। ट्रेन जैसे ही स्टेशन पर पहुंची जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे स्टाफ ने चेकिंग शुरू कर दी। बच्चे ने स्टेशन पर ट्रेन की टॉयलेट में छिपने का प्रयास किया लेकिन उसे उतार लिया गया। बताया गया है कि 4 महीने पहले उसकी मां ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, उसके पिता अयोध्या नगर में रहते हैं और डेरी का कारोबार करते हैं। घर में अकेले होने के कारण बच्चे को उसके बड़े पापा के पास छोड़ दिया गया था। मां की मौत के बाद से बालक खुद को अकेला महसूस करता था। वह फ्री फायर समेत ऑनलाइन गेम खेलता था। ऑनलाइन गेम बच्चों को कई प्रकार के चैलेंज के लिए उकसाते हैं। बच्चे नादानी में इन चेलैंज को एक्सेप्ट कर लेते हैं। अनुमान है कि इसी तरह के किसी चैलेंज के चलते वह घर से निकल गया। अपने घर से वह साइकिल से निकला था। उसके पास पैसे भी नहीं थे। हालांकि पुलिस ने बच्चे को परिजनों को सौंप दिया है।