नई दिल्ली। कई वर्षों से सरकार एयर इंडिया (Air India) को बेचने की कोशिश में लगी थी। जो अब पूरी हो गई है। एयर इंडिया को टाटा संस (Tata Sons) ने 18 हजार करोड़ में खरीद लिया है। बता दें कि सरकार ने एयर इंडिया को बेचने के लिए नीलामी का आयोजन किया था। जिसमें टाटा संस ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर इसे अपने नाम कर लिया। टाटा के अलावा स्पाइसजेट ने 15,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। बतादें कि 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसे क्या हुआ कि सरकार को एयर इंडिया को बेचना पड़ा।
लंबे समय से घाटे में चल रही थी एयर इंडिया
दरअसल, लंबे समय से एयर इंडिया भारी घाटे में चल रही थी। वर्ष 2018-19 में कंपनी को 4 हजार 424 करोड़ रूपये का ऑपरेशनल घाटा हुआ था। 2017-18 में कंपनी को 1245 करोड़ रूपये का ऑपरेशनल घाटा हुआ। कंपनी पर भारी कर्जा हो चुका है। इसी को देखते हुए सरकार ने इसे बेचने का फैसला किया। अब जब टाटा ने इसे खरीद लिया है तो टाटा ग्रुप के चेयरमैन रटन टाटा ने ट्विट कर इसका स्वागत किया है।
टाटा समूह ने ही की थी एयर इंडिया की शुरूआत
बतादें कि टाटा समूह ने ही अक्टूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के रूप में एयर इंडिया की शुरूआत की थी। लेकिन 1947 में देश की आजादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में भारत सरकार ने एयर इंडिया के 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद सरकार ने वर्ष 1953 में एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास करके टाटा समूह से बहलांश हिस्सेदारी खरीद ली और इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया था।
कर्मचारियों का क्या होगा?
अब जब 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी हुई है तो ऐसे में सवाल उठता है कि पहले से काम कर रहे उन कर्मचारियों का क्या होगा? बतादें कि अगस्त 2021 तक एयर इंडिया के पास 16 हजार से अधिक कर्मचारी थे। इनमें से 9617 स्थायी कर्मचारी हैं, जिन्हें ग्रैच्युटी के साथ अन्य लाभ मिलता है। ऐसे में एयर इंडिया की बिक्री के साथ टाटा संस को एयर इंडिया के कर्मचारियों की ग्रेच्युटी आदि की जिम्मेदारी भी ट्रांसफर हो गई है। कर्मचारियों को डर था कि कहीं निजी करण के बाद उनके पीएफ की रकम टाटा ग्रुप के ट्रेस्ट में न चली जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एयर इंडिया के मौजूदा स्टाफ के लिए पीएफ की रकम ट्रांसफर करने का टेंपलेट वही होगा जो अन्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के निजी करण में अपनाया जाता है। टाटा संस अगले एक साल तक इन स्टाफ को हटा नहीं सकता।
एयर इंडिया की कुल संपत्ती
बतादें कि मौजूदा समय में एयर इंडिया के पास 4400 घरेलू उड़ानें और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट का कंट्रोल है। वहीं मार्च 2020 तक विमानन कंपनी की कुल फिक्स्ड प्रॉपर्टी करीब 45, 863.27 करोड़ रूपये की थी। कीमत के तौर पर टाटा सन्स एयर इंडिया के 15,300 करोड़ रुपये के कर्ज का ज़िम्मा लेगा बाक़ी रकम का वो नकद में भुगतान करेगा।
5 साल तक नहीं बदल सकते नाम और लोगो
गौरतलब है कि बिक्री के बाद भी टाटा समूह 5 साल तक एयर इंडिया का नाम और लोगो नहीं बदल सकती। अगर अगर 5 साल बाद इसे बदला भी जाता है तो इसे किसी भारतीय इकाई या व्यक्ति को ही दिया जाएगा। कोई भी विदेशी व्यक्ति या इकाई इस नाम से एयरलाइन का संचालन नहीं कर सकेगा। बतादें कि एयर इंडिया की मालिक बनने के बाद अब Tata Sons के पास 3 एयरलाइंस हो गई हैं। ग्रुप का पहले से ही विस्तारा और एयरएशिया में हिस्सेदारी है।