नई दिल्ली। आए दिन हो रहे सड़क हादसों में हजारो लोग PM Modi News अपनी जान गंवा बैठते हैं। इनके जिंदगी सही समय पर बचाई जा सके इसके लिए मोदी सरकार एक नई पहल करने जा रही है। जी हां सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायलों की जान बचाने के लिए एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुचाने वाले को 5 हजार रुपए इनाम देगी। इतना ही नहीं इसमें राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 10 में शामिल होने पर 1 लाख का इनाम दिया जाएगा।
आइए जानते हैं और इस पहल में क्या है खास —
यदि आप गंभीर रूप से घायल को एक घंटे के अंदर अस्पताल तक पहुंचाते हैं तो सड़क मंत्रालय द्वारा लोगों को 5 हजार रुपये नकद इनाम दिया जाएगा। मंत्रालय द्वारा सोमवार को इसकी जानकादी मीडिया को दी गई।
राज्यों को कर दिया गया है सूचित
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा इस पहल के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधानों, सचिवों और परिवहन सचिवों को पत्र के माध्यम से सूचित कर दिया गया है। सूचना अनुसार यह योजना इस महीने की 15 तारीख यानि 15 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2026 तक प्रभावी होगी।
नए पोर्टल के माध्यम से होगी शुरूआत
‘नेक मददगार को पुरस्कार देने की योजना’ के नाम से शुरू होने वाली इस योजना के लिए मंत्रालय द्वारा नए पोर्टल की शुरुआत की जाएगी। इस पोर्टल में मददगारों का रिकार्ड रखा जाएगा। पोर्टल पर इस जानकारी को स्थानीय पुलिस, अस्पताल-ट्रामा सेंटर स्टाफ द्वारा अपलोड किया जा सकेगा। इसमें मददगारों को दी जाने वाली राशि जिला प्रशासन द्वारा दी जाएगी। इस राशि को एक वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 5 बार दिया जा सकेगा।
जारी किए गए दिशानिर्देश
‘नेक मददगार को पुरस्कार देने की योजना’ नाम से शुरू की गई इस योजना के लिए मंत्रालय द्वारा सोमवार को दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिसमें मंत्रालय ने साफ किया है कि इस योजना का उद्देश्य जनता को इस बात के लिए प्रेरित करना है ताकि वह आपातकालीन स्थिति में दुर्घटना में घायल पीड़ित की मदद कर सकें। इतना ही नहीं इस योजना में नकद पुरस्कार के अलावा प्रमाण—पत्र भी दिया जाएगा। साथ ही नेशनल लेबल पर सबसे अधिक नेक मददगारों को 1—1 लाख रुपए तक पुरस्कार के रूप में दिए जाएंगे।
पिछले साल सड़क दुर्घटना में हुई सवा लाख से ज्यादा मौते
पिछले दिनों लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी थी कि वर्ष 2020 में भारत में कुल 3,66,138 हुए सड़क हादसों में 1,31,714 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।