नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सात दशक में भी देश की बड़ी आबादी तक नल से जल पहुंचाने की ‘‘विफलता’’ के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए नहीं हो सका क्योंकि तत्कालीन नीति निर्माताओं को बिना पानी की जिंदगी के दर्द का एहसास नहीं था।
केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायत और पानी समितियों या ग्रामीण जल और स्वच्छता समितियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आजादी के बाद के सात दशकों में हर घर जल पहुंचाने के लिए जो काम हुआ था, सिर्फ पिछले दो साल में उससे भी ज्यादा काम उनकी सरकार ने करके दिखाया है।
Interacting with Gram Panchayats and Pani Samitis across India. https://t.co/Mp3HemaAZD
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2021
इस अवसर पर उन्होंने पानी की प्रचुरता में रहने वाले देश के हर नागरिक से पानी बचाने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए निश्चित तौर पर लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत सी ऐसी फिल्में, कहानियां और कविताएं हैं जिनमें विस्तार से यह बताया गया है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं और इन्हें देखकर कुछ लोगों के मन में गांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन बहुत कम ही लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को हर रोज किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है? आखिर क्यों नहीं पानी इन लोगों तक पहुंचता? मैं समझता हूं, जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति-निर्धारण की जिम्मेदारी थी, उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था। लेकिन यह सवाल पूछा नहीं गया।’’
आज देश के शहर और गांव खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। करीब 2 लाख गांवों ने अपने यहां कचरा प्रबंधन का काम शुरू कर दिया है। 40 हजार से ज़्यादा ग्राम पंचायतों ने सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने का फैसला लिया है। खादी की बिक्री भी कई गुना ज़्यादा हो रही है: पीएम https://t.co/PKyw6bjZYn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 2, 2021
पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय के नीति-निर्माताओं ने पानी की किल्लत नहीं देखी थी और बिना पानी की जिंदगी का दर्द क्या होता है, उन्हें पता ही नहीं था, क्योंकि उनके घरों में, स्विमिंग पूल में पानी ही पानी होता था। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोगों ने कभी गरीबी देखी ही नहीं थी। इसलिए गरीबी उनके लिए एक आकर्षण रही। साहित्य और बौद्धिक ज्ञान दिखाने का जरिया बन गया। इन लोगों में एक आदर्श गांव के प्रति मोह होना चाहिए था लेकिन यह लोग गांव के अभावों को ही पसंद करते थे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से लेकर वर्ष 2019 तक देश में सिर्फ तीन करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था और 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से पांच करोड़ घरों को पानी के संपर्क से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानी पिछले सात दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ दो साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। वह दिन दूर नहीं नहीं जब किसी बहन बेटी को पानी भरने के लिए रोज रोज दूर-दूर तक पैदल नहीं जाना होगा।’’
बहुत कम लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि इन लोगों को हर दिन किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है। आखिर पानी क्यों नहीं इन लोगों तक पहुचंता है। जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति निर्धारण की जिम्मेदारी थी उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था लेकिन ये सवाल नहीं पूछा गया: PM pic.twitter.com/XwlJvVIRXU
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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास में पानी की कमी बाधा ना बने, इसके लिए काम करते रहना सभी का दायित्व है और यह सभी के प्रयास से ही संभव है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। पानी की कमी से हमारे बच्चे अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में ना लगा पाएं और उनका जीवन पानी की किल्लत से ही निपटने में बीत जाए, यह हम नहीं होने दे सकते। इसके लिए युद्धस्तर पर काम करते रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी हिस्से में टैंकरों व ट्रेनों से पहुंचाने की नौबत ना आए।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन की दृष्टि सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है बल्कि यह विकेंद्रीकरण का भी बहुत बड़ा आंदोलन है। उन्होंने कहा, ‘‘यह गांवों और महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाला आंदोलन है। इसका मुख्य आधार, जनआंदोलन और जनभागीदारी है।’’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जल जीवन मिशन एप और राष्ट्रीय जल जीवन कोष की भी शुरुआत की।
इस एप का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता बढाना और मिशन के अंतर्गत जारी योजनाओं को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है जबकि राष्ट्रीय जल जीवन कोष में कोई भी व्यक्ति, संस्थान, कंपनी या समाज सेवी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, अंशदान कर सकता है। इस कोष का उपयोग गांव में प्रत्येक घर, स्कूल, आंगनवाडी केन्द्र और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री ने हर घर को नल से स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी।