अहमदाबाद। अहमदाबाद की एक उपभोक्ता अदालत ने बीमा कंपनी को फेफड़ों के कैंसर के इलाज पर खर्च की गई राशि की प्रतिपूर्ति करने का आदेश दिया है। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए दावे का भुगतान करने से इनकार कर दिया था कि रोगी धूम्रपान का आदी था, जिसके कारण उसे यह बीमारी हुई।
अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिले कि रोगी को फेफड़े का कैंसर उसकी धूम्रपान की लत के कारण हुआ, सिवाय उपचार के कागजात पर ‘एडिक्शन स्मोकिंग’ के उल्लेख के। अदालत ने कहा कि यह बीमा कंपनी के लिए उसके दावे को अस्वीकार करने का आधार नहीं बन सकता है और यह भी कहा कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं, उन्हें भी फेफड़ों का कैंसर होता है।
बीमा कंपनी ने बीमा धारक आलोक कुमार बनर्जी के एक निजी अस्पताल में ‘फेफड़े के एडेनोकार्सिनोमा’ या फेफड़ों के कैंसर के इलाज पर किए गए 93,297 रुपये खर्च के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह धूम्रपान का आदी था, जैसा कि उनके इलाज के दस्तावेजों में उल्लेख किया गया था। बनर्जी की पत्नी स्मिता ने उपभोक्ता शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर अहमदाबाद उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में इसे चुनौती दी थी।