भोपाल। मध्य प्रदेश में सीधी में हुए हादसे के बाद लगातार प्राइवेट बस संचालक Madhya Pradesh Private Buses निशाने पर है। कई यात्रियों का आरोप है कि प्राइवेट बस संचालक क्षमता से अधिक यात्री बैठाते है और यात्रियों की जान माल की भी कोई सुरक्षा नहीं। वहीं इस बारे में जब मध्य प्रदेश के सांसदो से बात की गई तो सब ने यही कहा कि प्राइवेट बसों से ज्यादा सुरक्षित सरकारी बसें है। मीडिया से बात करते हुए सांसदों ने कहा कि लो परिवहन प्राइवेट हाथों में नहीं होना चाहिए। सभी ने कहा कि सरकारी नियंत्रण में लोक परिवहन का संचालन किया जाए।
निजी बस संचालकों की मनमानी पर रोक लगेगी
इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने मध्य प्रदेश में राज्य परिवहन की सेवा शुरू होनी चाहिए। इंदौर का एआइसीटीएसएल मॉडल प्रदेश में अपनाया जा सकता है वही उज्जैन सांसद ने कहा कि राज्य परिवहन की बसें चलनी चाहिए। इससे निजी बस संचालकों की मनमानी पर रोक लगेगी। मैंने पत्र भी लिखा है।
कई बार हो चुके है हादसे
मध्य प्रदेश में ये पहला मामला नहीं है जब सड़क हादसे में 54 लोगों ने अपनी जान गवाई है। इसके पहले भी सीधी के इस रास्ते पर भीषण सड़क हादसे हो चुके हैं।
1.सीधी-सतना के इस मार्ग पर अब तक कई हादसे हो चुके हैं। पहला हादसा साल 1988 में हुआ था, जब लिलजी बांध में बस जा गिरी थी. उस हादसे में 88 यात्रियों की मौत हुई थी। वही दूसरा हादसा 18 नवंबर 2006 में हुआ था जब यात्रियों से भरी एक बस गोविंदगढ़ तालाब में गिर गई थी, इस दुर्घटना में 68 यात्रियों की मौत हुई थी। सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब यहां पहले भी हादसे हो चुके थे तो ड्राइवर ने लोगों की जान से खिलवाड़ क्यों किया? साथ ही प्रशासन इस रूट पर भारी वाहनों को प्रवेश कैसे देता है।
सवाल जिसका नहीं मिला जबाब
सीधी बस में ड्राइवर की लगती तो है ही , लेकिन आप हादसे की वजहों पर जाएंगे, तो पाएंगे कि इस हादसे का जिम्मेदार, गुनहगार हमारा सिस्टम और उसमें बैठे लोग हैं, जो भ्रष्टाचार में इस तरह डूबे है कि उनका खराब बसें भी फिट दिखती हैं। आरटीओं आफिस में अनफिट बसों को फिट का परमिट आसानी से मिल जाता हैं। इतना ही नहीं सारे नियम-कायदे तोड़ने की खुली छूट आरटीओं आफिस में मिल जाती है। सबसे बड़ी बात ये है कि न कोई जांच न पड़ताल।