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भोपाल। क्या आपको पता है, बुरहानपुर के नेपानगर में एशिया का पहला कागज कारखाना है। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे और आज यह किस स्थिती में है यह भी जानेंगे। 1947 में शुरू हुआ यह कारखाना 1959 में केंद्र सरकार का उपक्रम बन गया था। कभी इस कारखाने में हजारों लोग काम किया करते थे।
कारखाने को बनाया जा रहा है आधुनिक
देश की आजादी के साथ शुरू हुए इस कारखाने की हालत वर्तमान में काफी खराब है। हालांकि सरकार इसमें फिर से जान डालने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। कारखाने के आधुनिकीकरण का काम तेजी से चल रहा है। जल्द ही इसे नए रंग रूप में पूरी तरह से खोल दिया जाएगा। सुत्रों की माने तो इसका आधुनिकीकरण का काम अप्रैल तक पुरा हो जाएगा और फिर ट्रायल के बाद सबकुछ ठीक रहा तो जून 2021 से इसमें कागज बनना शुरू हो जएगा।
देश की अकेली न्यूज प्रिंट कंपनी है
अकेल इस कागज फैक्ट्री के शुरू हो जाने के बाद देश को एक लाख मीट्रिक टन कागज सालाना मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए भी यहां
रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बतादें कि नेपानगर के आसपास के जंगलों में प्रचुर मात्रा में सरई की लकड़ी और बांस पाए जाते हैं। जिससे न्यूज प्रिंट बनाए हैं। इस कारखाने ने ही पहली बार देश में अखबारों में उपयोग होने वाले कागज 42 जीएसएम को बनाया था। यह देश की इकलौती न्यूज प्रिंट कंपनी थी।
विदेशों से मंगाई जा रही है नई मशीनें
बतादें कि 2016 में कंपनी का उत्पादन पुरी तरीके से बंद हो गया था। क्योंकि चीन से सस्ता कागज आने लगा था। साथ ही नेपानगर के कागज उतने साफ भी नहीं थे।
इस कारण से लोगों ने यहां से कागज लेना बंद कर दिया था। कागज की मांग में जैसे-जैसे कमी आई, कारखाना धिरे-धिरे करके बंद हो गया। हालांकि आखिर में सरकार की नजर पड़ी और अब इसका कायाकल्प किया जा रहा है। कंपनी में विदेश से आए अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं। इससे कागज पूरी तरह से सफेद तैयार होगा। साथ ही पहले की तुलना में इसकी कीमत भी कम होगी।
हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
मालूम हो कि कुछ साल पहले तक इस मिल में हजारों कर्मचारी काम करते थे। लेकिन कागज की मांग में कमी आने के कारण यहां कमर्चारियों की खंख्या काफी कम हो गई थी। लेकिन एक बार फिर से इसके शुरू हो जाने के बाद यहां 5 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है।