नई दिल्ली। प्रख्यात रंगकर्मी पद्मश्री बंसी कौल (Bansi Kaul) का शनिवार सुबह निधन हो गया। वो काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और हाल ही में कैंसर के चलते उनका ऑपरेशन भी किया गया था। नवंबर के बाद से ही उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती रही और शनिवार को देश ने एक प्रचलित रंगकर्मी को खो दिया।
बंशी कौल ने दुनिया को कहा अलविदा
शनिवार की सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर दिल्ली के द्वारका में बंशी कौल ने अंतिम सांस ली। बंसी कौल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के स्नातक रहे, इसके बाद उन्होंने भोपाल में रंग विदूषक के नाम से अपनी संस्था बनाई, 1984 से रंग विदूषक ने देश और दुनिया में अपनी नाट्य शैली के जरिए उन्होंने से अलग पहचान बनाई।
देश के जाने-माने डिजाइनर बंसी कौल ने कई बड़े इवेंट की डिजाइनिंग की है। बंशी कौल अपने आखिरी दिनों तक रंगकर्म और नाटकों की दुनिया को लेकर काफी चिंतित हो गए थे। उन्होंने सामूहिकता, थिएटर ऑफ लाफ्टर, उत्सव धर्मिता को लेकर एक नया मुहावरा रचा। उनके निधन से देश को एक बड़ी क्षति पहुंची है। बंशी कौल की संस्था द्वारा गांव की चौपालों, महल और हवेलियों के आंगन, नदी के घाटों और रेगिस्तान में रेत के टीलों पर हुए प्रदर्शनों को कभी भूला नहीं जा सकेगा।
संस्था ने उज्जैन, चैन्नई, बैंगलोर, शोलापुर, ग्वालियर, इन्दौर, महेश्वर, रायगढ़ और दिल्ली समेत कई शहरों में समय-समय पर रंगशिविर का आयोजन किया।