भोपाल। साल 2015 में सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजी गईं जनक पलटा मगिलिगन को मध्यप्रदेश में लोग दीदी के नाम से जानते हैं। पलटा ने अपना पुरा जीवन आदिवासी महिलाओं के लिए त्याग कर दिया है। उन्होंने अब तक 90 हजार से अधिक महिलाओं का जीवन बदला है। जनक पलटा का जन्म पंजाब में हुआ था। उन्होंने पहले चंडीगढ़ में महिलाओं के लिए काम किया उसके बाद वे अब मध्य प्रदेश में आदिवासी महिलाओं के लिए काम कर रही है।
Image source-@JanakPalta
सबकुछ छोड़कर गांव में रहना पसंद किया
अंग्रेजी लिटरेचर में मास्टर और राजनीति साइंस में एमफिल कर चुकीं पलटा चाहती तो किसी अच्छे शहर में रह कर वो काम कर सकती थीं। लेकिन उन्होंने सबकुछ छोड़कर गांव में रहना पसंद किया और मश्किलों का सामना कर रही आदिवासी महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण बन गईं। लटा ने जनजातीय और ग्रामीण महिलाओं के प्रशिक्षण के माध्यम से अक्षय विकास में डॉक्टरेट की डिग्री ली है यानी उन्होंने इस विषय पर पीएचडी किया है। वो इस समय इंदौर के पास सनावदिया गांव में रहती हैं। जहां ‘जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के जरिए लोगों की मदद करती हैं। उन्होंने कई लड़कियों और आदिवासी महिलाओं को पढ़ाया है। साथ ही साथ उन्होंने इन्हें सौर उर्जा के इस्तेमाल के लिए भी बढ़ावा दिया है। मगिलिगन ने गांवों में कैंपेन चलाकर आदिवासियों के जीवन को बदला है।
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उनकी भारत में हुई थी पहली हार्ट सर्जरी
जनक पलटा अपने करियर को याद करते हुए कहती हैं कि मैं जब 15 साल की थी तब एक दिन आचानक से मैं बेहोश हो गई। घरवालों में हमें आनन-फानन में चडीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां जाने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि मैं दिल की बीमारी से ग्रसित हूं और मेरी ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ेगी। लेकिन उस वक्त तक भारत में कहीं भी ओपन हार्ट सर्जरी नहीं होती थी। डॉक्टरों ने परिवार वालों को बताया कि अगर इसका ओपन हार्ट सर्जरी नहीं किया जाता तो ये महज 6 महीने ही जीवत रह सकती है। उस वक्त सरकार की दखल के बाद मेरे ऑपरेशन के लिए कनाडा से एक डॉक्टर को बुलाया गया और भारत में पहली बार किसी की ओपन हार्ट सर्जरी हई।
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लोगों को सर्जरी कराने के लिए प्रेरित किया
नई जिंदगी मिलने के बाद पलटा ने भगवान को याद किया। वो हर उस जगह गईं जहां से भगवान को शुक्रिया अदा किया जा सकता था। उन्होंने सभी धार्मिक स्थलों की यात्रा की और अंत में उन्होंने प्रण किया कि मैं आज से वहीं काम करूंगी जिससे लोगों का भला हो सके। पटला ने पहले अपनी पढ़ाई पूरी कि उसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक नौकरी भी कि और उनसे जो पैसे मिलते थे उसे उन्होंने सेवा कार्य में लगा दिया। लोग उन दिनों ओपन हार्ट सर्जरी करवाने से डरते थे। ऐसे में पटला उन लोगों के बीच जाती थी कि सर्जरी करवाने से डरें नहीं। वो दिखाती थीं कि देखों मैंने भी करवाया है अब मैं एकदम ठीक हूं। लोगों ने उनकी बातों को मानते हुए सर्जरी करवाना शुरू किया।
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उन्होंने शांति के लिए अपना धर्म बदला
उन्होंने चंडीगढ़ में रहते हुए कई छोटे-मोटे काम किए जिससे की लोगों का भला हो सके। लेकिन अभी तक उन्हें जीवन का मकसद नहीं मिला था। इसलिए उन्होंने अपना धर्म बदल लिया और बहाई धर्म को अपना लिया। इस धर्म में लोग पूजा पाठ की बजाय उपासना करते हैं जिससे शांति का अनुभव होता है। इसके बाद उन्होंने हिंदू-मुसलमान दंगों पर रिसर्च करना शुरू किया । इस सिलसिले में उनको इंदौर आना पड़ा। इंदौर आकर उन्होंने पाया कि मैं जो अब तक कर रही थी उससे कहीं ज्यादा यहां के आदिवासियों के लिए करने की जरूरत है। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और इंदौर में बस गई। सबसे पहले उन्होंने यहां आदिवासी लड़कियों के लिए इंस्टीट्यूट खोला और पढ़ाना शुरू किया। इस काम में उन्हें बहाई धर्म के लिए काम करने वाली संस्था ने मदद की। धिरे-धिरे वो झाबुआ के तरफ बढ़ी वहां जाकर उन्होंने आदिवासियों को नारू बीमारी के बारे में जागरूक किया। उन्हें इस दौरान कई-कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था। इस काम के लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
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सौर उर्जा के क्षेत्र में किया है काफी काम
पलटा ने इन आदिवासी इलाकों में लड़कियों के लिए खुब काम किया है। साथ ही उन्होंने पर्यावरण को लेकर भी लोगों को जागरूक किया है। यहां तक कि उनके घर में भी वाइंड एनर्जी सिस्टम लगा हुआ है जिससे बिजली बनती है और वो उससे आसपास के कई घोर को भी रात में बिजली देती हैं। उन्होंने सौर किचन भी बनाया हुआ है। साथ ही ग्रामीण महिलाओं के लिए सौर बर्तन भी उन्होंने बांटे हैं। मध्य प्रदेश में वो दीदी के नाम से बेहद मशहूर हैं। उनके इस काम के लिए सरकार ने उन्हें साल 2015 में पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा है।
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कोरोना काल में भी लोगों को किया जागरूक
उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी काफी काम किया है। लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन्हें किस तरह से सुरक्षित रहना है और हैंड सैनिटाइजर कैसे घर पर ही बना सकते हैं इन सभी चीजों को लेकर भी उन्होंने काफी काम किया है।
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