भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में बाबूलाल गौर का नाम कौन नहीं जानता। एक मजदूर से लेकर सीएम बनने तक का उनका सफर काफी दिलचस्प है। हालांकि अब वो इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके किए गए काम आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। गौर एक ऐसे राजनेता थे जिन्हें पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से सम्मान दिया जाता था। आज हम इस आर्टिकल में बाबूलाल गौर के बारे में कुछ ऐसे ही किस्सों को जानेंगे जिसे कम ही लोग जानते हैं।
कपड़ा फैक्टरी में मजदूरी करते थे गौर
बाबू लाल गौर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म आजादी से पहले 2 जून, 1930 को नौगीर गांव में हुआ था। उनके पिता जी काम की तलाश में काफी पहले भोपाल आ गए थे। यही कारण है कि गौर को भी बचपन में ही यहां आना पड़ा। उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं से हुई है। स्कूल खत्म करने के बाद उन्होंने एक कपड़ा फैक्टरी में काम करना शुरू किया। जहां उन्हें 6 रूपये प्रति माह दिया जाता था।
बुल्डोजर मैन से नाम से भी जाने जाते थे
बाबूलाल गौर को बुल्डोजर मैन के नाम से भी जाना जाता है। वे जब सुंदरलाल पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री थे तो उन्होंने राजधानी भोपाल को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया था। उन्ही की देन है कि आज भोपाल शहर अतिक्रमण मुक्त है। लोग उन्हें उस समय बुल्डोजर मैन बुलाया करते थे। उनकी लोकप्रियता इसी बात से समझी जा सकती है कि वे लगातार 9 बार भोपाल की गोविंदपुरा सीट से विधायक रहे।
मजदूर नेता के रूप में राजनीति की शुरूआत
बाबू लाल गौर वैसे तो स्कूल के दिनों में ही आरएसएस के संपर्क में आ गए थे। लेकिन उन्होने राजनीति की शुरूआत एक मजदूर नेता के रूप में की। जेपी आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आंदोलन में उनके योगदान के कारण ही उन्हें 1972 के चुवाव में जनसंघ ने भोपाल की गोविन्दपुरा सीट से प्रत्याशी बनाया। हालांकि वो इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मोहनलाल अस्थाना से हार गए थे। लेकिन दो साल बाद ही 1974 में अस्थाना के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को हरा दिया।