कोयम्बटूर, 19 जनवरी (भाषा) श्रम मामलों की संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को कपड़ा उद्योग को उनकी अपील पर विचार करने और उपयुक्त सिफारिशें देने का आश्वासन दिया ताकि तमिलनाडु, विशेष रूप से तिरुपुर और कोयम्बटूर इलाके में कृत्रिम रेशे( एमएमएफ) से वस्त्र बनाने वाला उद्योग समृद्ध हो सके।
समिति ने कपड़ा और वस्त्र पर राष्ट्रीय समिति (एनसीटीसी) के साथ बातचीत की।
एमसीटीसी में भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई), परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी), कपास वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद, सिंथेटिक और रेयान कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद, पावरलूम विकास निर्यात संवर्धन परिषद, भारतीय तकनीकी वस्त्र संघ और तिरुपुर निर्यातक संघ (टीईए) शामिल हैं।
एनसीटीसी के समन्वयक टी राजकुमार और एईपीसी के अध्यक्ष डॉ ए शक्तिवेल ने समिति को बताया कि तमिलनाडु देश के कपड़ा व्यवसाय में एक तिहाई योगदान करता है। उनका कहना था कि राज्य में कपड़ा उद्योग में नए निवेश को आकर्षित करने की क्षमता है।
एनसीटीसी की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि चूंकि देश, विशेष रूप से तमिलनाडु, सूती वस्त्र और वस्त्र उत्पादों के निर्माण में अपने चरम बिंदु पर पहुंच गया है, तो ऐसे में विशेषकर कोविड-19 के दौर के बाद के माहौल में चीन द्वारा छोड़े गये अवसरों का फायदा लेने की गुंजाइश है, बशर्ते कि एमएमएफ कपड़ा और पहनावा उत्पादों के लिए एक अनुकूल नीति की घोषणा की जाये।
उनका कहना था कि डंपिंग रोधी शुल्क और सीमा शुल्क सुरक्षा और एमएमएफ पर 18 प्रतिशत का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा एमएमएफ यार्न पर 12 प्रतिशत का जीएसटी, एमएमएफ क्षेत्र के विकास मार्ग को अवरुद्ध कर रहा है।
उनका कहना था कि देश के 60 लाख से अधिक किसानों द्वारा उत्पादित कपास पर कोई शुल्क नहीं लगता है और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य से सस्ता उपलब्ध कराया जाता है।
एनसीटीसी ने संसदीय समिति से राज्य सरकारों को सलाह दी कि वे बाल संरक्षण कानून लागू करने से बचें, जो 18 साल से कम उम्र के बच्चों को बाल्यावस्था की श्रेणी में परिभाषित करता है, जबकि फैक्ट्री अधिनियम 16 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के श्रमिकों को कुछ शर्तों के साथ काम पर लगाने की छूट देता है। संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षता भर्तृहरि महताब करते हैं। समिति के सदस्यों ने एमएमएफ वस्त्र उद्योग के विकास की क्षमता का अध्ययन करने के लिए तिरुपुर और कोयम्बटूर का दौरा किया।
भाषा राजेश राजेश मनोहर
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