नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि सभी देशों के लिये नौवहन की स्वतंत्रता, मुक्त सम्पर्क और क्षेत्रीय सम्प्रभुता एवं अखंडता के सम्मान सहित नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र भारत के लिये सिद्धांत का विषय है।
भारत, जापान और फ्रांस के बीच हिन्द प्रशांत में सहयोग पर आनलाइन कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्रृंगला ने कहा कि भारत ने न केवल ‘हिन्द प्रशांत’ उक्ति को मुख्यधारा में लाने का काम किया है बल्कि दूसरों को इस क्षेत्र को सम्पूर्ण संदर्भ में समझने एवं परिभाषित करने के लिये प्रेरित भी किया है ।
उन्होंने कहा, ‘‘ चाहे जो भी नौवहन मानचित्र हो, यह निर्विवाद तथ्य है कि हिन्द प्रशांत 21वीं शताब्दी में राजनीति और सुरक्षा चिंता, प्रतिस्पर्धा, विकास एवं वृद्धि तथा प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का केंद्रबिन्दु है ।’’
भारत की हिन्द प्रशांत रणनीति को रेखांकित करते हुए श्रृंगला ने इस क्षेत्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने साल 2018 में सिंगापुर में शांग्री ला वार्ता में सागर सिद्धांत (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा एवं विकास) का उल्लेख किया था ।
आर्ब्जवर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएस) की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए विदेश सचिव ने कहा, ‘‘ यह आकांक्षा क्षेत्र में के हर कोने तक आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना, एक देश पर अति निर्भर नहीं होना और सभी पक्षकार देशों के लिये समृद्धि सुनिश्चित करने से जुड़ी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी देशों के लिये नौवहन की स्वतंत्रता, मुक्त सम्पर्क और क्षेत्रीय सम्प्रभुता एवं अखंडता के सम्मान सहित नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र भारत के लिये सिद्धांत का विषय है।’’
श्रृंगला ने कहा कि भारत ने सुरक्षा प्रदाता बन कर हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा मजबूत बनाने और नौवहन स्वतंत्रता पर बल दिया है जिसमें अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों के खिलाफ अभियान या शांति स्थापना अभियान शामिल है ।
भाषा दीपक
प्रशांत माधव
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