नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों में कोविड-19 आईसीयू बेडों का आरक्षण पहले के 40 फीसद से घटाकर 25 फीसद कर दिया है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख दो फरवरी तय की। इससे पहले याचिकाकर्ता एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के वकील ने कहा कि वह इस नये घटनाक्रम में सदस्य अस्पतालों के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए उन्हें कुछ वक्त चाहिए।
एसोसिएशन ने सरकार के 12 सितंबर, 2020 का आदेश रद्द करने की मांग की है जिसमें 33 निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के लिए 80 फीसद सीटें आरक्षित कर दी गयी थीं। ये अस्पताल एसोसिएशन के सदस्य हैं।
वैसे सरकार ने महामारी की स्थिति की समीक्षा करने के बाद आरक्षण फीसद को क्रमिक रूप से घटाया है। नवंबर, 2020 में कोविड -19 का संक्रमण रोजाना 8000 के शिखर पर चढ़ने के बाद अब घट रहा है तथा 18 जनवरी, 2021 को 161 नये मामले सामने आये हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि सरकार ने 15 जनवरी को आदेश जारी कर 100 से अधिक बेड वाले अस्पतालों में कोविड-19 बेड आरक्षण घटाकर 25 फीसद किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस विषय पर सदस्य अस्पतालों से निर्देश हासिल करने के लिए कुछ समय की जरूरत है।
पहले दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि कोई भी गैर कोविड-19 मरीज इस बात को लेकर अदालत नहीं पहुंचा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के वास्ते 80 फीसद आईसीयू बेड आरक्षित कर दिये जाने के कारण उसे अस्पताल में उपचार से वंचित होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि कोई भी निजी अस्पताल यह दावा करते हुए उच्च न्यायालय नहीं पहुंचा कि इस आरक्षण आदेश के चलते उसे नुकसान हुआ।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि आईसीयू बेड खाली रह गये और सरकार द्वारा अस्पतालों को कोई भुगतान नहीं किया गया जो वित्तीय घाटे से जूझ रहे हैं।
भाषा राजकुमार नीरज
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