नई दिल्ली। करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निशान। इस दोहे को हमने खुब सुना है। जिसका साफ अर्थ है कि इंसान अगर अभ्यास करता है तो वो किसी भी असाधारण काम को भी सरलतापूर्वक कर सकता है। ठीक उसी तरह शनिवार को देश के 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वैक्सीनेशन के ड्राई रन को पूरा किया गया। आज हम आपको इसी ड्राई रन (Dry Run)के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर ये होता क्या है और इसे कैसे किया जाता है?
कैसे होता है ड्राई रन
आसान भाषा में कहें तो ड्राई रन एक प्रकार का मॉक ड्रिल है जो वैक्सीनेशन प्रोसेस के लिए किया गया। यानी जब कोरोना वैक्सीन भारत में उपलब्ध हो जाएंगे तो ठीक उसी प्रकार से लोगों को लगाया जाएगा जैसा ड्राई रन में किया गया। ड्राई रन में सबसे पहले वैक्सीन को कोल्ड स्टोरेज से वैक्सीनेशन सेंटर तक कैसे पहुंचाया जाएगा, इसे परखा गया। उसके बाद टीका सेंटर पर भीड़ को कैसे मैनेज किया जाएगा, लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग को कैसे बनाया जाएगा इन सभी चीजों का लाइव टेस्ट किया गया। साथ ही वैक्सीन लगाने के रियल टाइम को भी टेस्ट किया गया। हालांकि इस दौरान ड्राई रन में शामिल लोगों को असली वैक्सीन नहीं लगाया गया।
कितने जगहों पर हुआ ड्राई रन
सभी राज्यों की राजधानियों के अलावा कई शहरों में ड्राई रन को पूरा किया गया। कुल मिलाकर 125 जिलों के 260 से ज्यादा सेंटरों पर ड्राई रन किया गया। इस दौरान सभी टीका सेंटरों पर 25 लोगों को डमी वैक्सीन का टीका लगाया गया। भारत के लिए ये ड्राई रन काफी महत्वपूर्ण था। क्योंकि सरकार ने हाल ही में 2 करोना वैक्सीन को मंजूरी दे है। जिसके बाद ये माना जा रहा है कि जल्द ही देश में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
पांच चरणों में ड्राई रन को पूरा किया गया
ड्राई रन की प्रोसेस को मुख्य रूप से पांच चरणों में पूरा किया। पहले चरण में जिन लोगों को डमी वैक्सीन लागाई जानी थी उन्हें सेंटर पर बुलाया गया। दूसरे चरण में उनके डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन किया गया। तीसरे चरण में उन्हें डमी वैक्सीन लगाया गया। चौथे में उनकी जानकारी ऑनलाइन अपलोड की गई और पांचवे चरण में लाभार्थी को ऑब्जर्वेशन में रखा गया।
ड्राई रन के बाद अगला कदम क्या होगा
ड्राई रन हो जाने के बाद हर सेंटर से एक रिपोर्ट को तैयार किया गया है। जिसका परीक्षण राज्य स्तर पर बनी कोरोना टास्क फोर्स करेंगी। उसके बाद फोर्स अपना रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजेगी। मंत्रालय उस रिपोर्ट में मौजूद खामियों को परखेगा। अगर उन्हें लगेगा की रिपोर्ट अपने कार्यक्रम के अनुकूल है तो जल्द ही देश में वैक्सीनेशन प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है।