नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार सुबह निधन हो गया। वह 86 साल के थे।
पिछले साल मष्तिकाघात के बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था और वह गत वर्ष अक्टूबर महीने से कोमा में थे।
उनके परिवार ने बताया कि बूटा सिंह का शनिवार सुबह करीब 5.30 बजे एम्स में निधन हो गया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य नेताओं ने बूटा सिंह के निधन पर दुख जताया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की।
कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘बूटा सिंह के निधन से देश ने लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसद और विशाल प्रशासनिक अनुभव रखने वाला व्यक्ति खो दिया है। वह शोषितों और वंचितों की लड़ाई लड़ने वाले चैम्पियन थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदना है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘बूटा सिंह जी एक अनुभवी प्रशासक और गरीबों के साथ-साथ वंचित वर्ग के कल्याण के लिए प्रभावी आवाज थे। उनके निधन से दुख हुआ है। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदना है।’’
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ट्वीट किया, ‘‘पूर्व सांसद बूटा सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। वे समाज के वंचित-अभावग्रस्त वर्ग की सशक्त आवाज थे। देश के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।’’
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने बूटा सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदार बूटा सिंह जी के जाने से हम सबको गहरा दुख हुआ है। उन्होंने समाज के हर तबके की उन्नति के लिए काम किया। दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने भी बूटा सिंह के निधन पर दुख जताया।
बूटा सिंह ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में केंद्रीय गृह मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। इसके साथ ही वह बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे। वह आठ बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
भाषा हक हक दिलीप
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