नई दिल्ली। सनातन धर्म में शादी के बाद सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर, बिंदी मेहंदी जैसी चीजें काफी मायने रखती हैं। क्योंकि इन चीजों को सुहाग की निशानी माना जाता है। स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए सोलह श्रृंगार करती हैं और व्रत भी रखती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक समुदाय ऐसा भी है जो पति के जीवित रहते हुए भी सालभर में कुछ महीने विधिवाओं की तरह रहती हैं। आप भी कहेंगे कि ये कैसी प्रथा है पति जिंदा है और पत्नी विधवा बन कर रहती है। लेकिन ये सच है।
महिलाएं काफी लंबे समय से इस रिवाज को निभा रही है
दरअसल, इस समुदाय का नाम है ‘गछवाहा समुदाय’। इस समुदाय की महिलाएं काफी लंबे समय से इस रिवाज को निभाती आ रही है। बताया जाता है कि ये महिलाएं ऐसा इसलिए करती हैं, ताकि उनके पति का उम्र लंबा हो। आइए जानते हैं विस्तार से इस रिवाज के बारे में।
5 महीने तक विधवाओं की तरह रहती हैं
बतादें कि गछवाहा समुदाय के लोग मुख्यत: पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहते हैं। समुदाय के पुरूष मुख्य रूप से पेड़ों से ताड़ी (एक तरह का पेय पदार्थ) उतारने का काम करते हैं। साल में लगभग 5 महीने तक वे इस काम को करते हैं। इस दौरान ताड़ी उतारने वाले व्यक्ति की पत्नी विधवाओं की तरह रहती हैं। वे न तो सिंदूर लगाती हैं, न ही बिंदी और न ही कोई श्रृंगार करती हैं।
कुलदेवी को चढ़ा देती हैं श्रृंगार का सारा सामान
मान्यताओं के अनुसार गछवाहा समुदाय के लोग तरकुलहा देवी की पूजा करते हैं। जिस दौरान पुरूष ताड़ी उतारने का काम करते हैं तो उनकी पत्नियां इस दौरान अपना सारा श्रृंगार देवी के मंदिर में रख देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन पेड़ों से ताड़ी उतारी जाती है वे काफी उंचे होते हैं। जरा सी भी चूक व्यक्ति की मौत की वजह बन सकती है। यही कारण है कि यहां कि महिलाएं अपनी कुलदेवी को श्रृंगार की सभी चीजें चढ़ाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।