नई दिल्ली। देश में एक ऐसा भवन है, जहां लोग मौत का इंतजार करने जाते हैं। चौंकिए नहीं ये सच है। वाराणसी में साल 1908 में बने इस भवन को मुक्त भवन के नाम से जाना जाता है। इसका संचालन डालमिया ट्रस्ट दिल्ली द्वारा किया जाता है। हर साल देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सैकड़ों लोग यहां आते हैं और अपना आखिरी वक्त बिताते हैं।
इस धर्मशाला में 12 कमरे हैं
अंग्रेजों के जमाने में बनी इस धर्मशाला में 12 कमरे हैं। यहां एक मंदिर भी है। इन कमरों में केवल उन्हें ही जगह दी जाती है, जो मौत के एकदम करीब होते हैं। मौत का इंतजार कर रहा कोई भी व्यक्ति यहां 2 हफ्ते तक रह सकता है। ये मोक्ष भवन अपने आप में निराला है। रोजाना 75 रूपए के किराए पर लोग अपने निधन से पहले मोक्ष की प्रत्याशा में यहां चले आते हैं।
काशी में मरते हैं उन्हें सीधे मोक्ष मिलता है
मोक्ष भवन के कमरे में सोने के लिए एक तख्त, एक चादर और तकिया दिया जाता है। यहां आने वालों को कम से कम सामान के साथ अंदर आने की इजाजत मिलती है। यहां के पुजारी रोजना सुबह शाम आरती करने के बाद लोगों पर गंगाजल छिड़कते हैं ताकि उन्हें शांति से मुक्ति मिल सके। ऐसा माना जाता है कि जो लोग काशी में मरते हैं उन्हें सीधे मोक्ष मिलता है।
पहले कई मुक्ति भवन हुआ करते थे
इसका महत्व एक तरह से मुस्लिमों के हज की तरह है। पुराने वक्त में जब लोग कहा करते, काशी करने जा रहे हैं तो इसका एक मतलब ये भी था कि लौटकर आने की संभावना कम ही है। पहले मुक्ति भवन की तर्ज पर कई भवन हुआ करते थे लेकिन अब वाराणसी के अधिकांश ऐसे भवन कमर्शियल हो चुके हैं और होटल की तरह पैसे चार्ज करते हैं। लेकिन डालमिया ट्रस्ट द्वारा संचालित मुक्त भवन अब भी मरने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए काम कर रहा है।