नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद कैदियों के लिए एक अहम फैसला लिया है। कोर्ट ने जमानत मिलने के बाद रिहाई की प्रक्रिया को और आसान बना दिया है। अब कैदियों को जमानत के दस्तावेजों की हार्ड कॉपी जेल प्रशासन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना होगा। अब कोर्ट अपने आदेशों को संबंधित पक्षों तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन सिस्टम का इस्तेमाल करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मिलने के बावजूद कैदियों को जेल से रिहाई में होने वाली देरी पर चिंता जताई थी और जुलाई में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता में एक बेंच ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन सिस्टम पर काम करने का सुझाव दिया था। वहीं अब SC इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है यह इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन सिस्टम?
फास्ट एंड सिक्योंर ट्रांसमिशन आफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स नाम की इस योजना से अब अदालत के फैसलों की तेजी से जानकारी मिल सकेगी। साथ ही इस पर तेजी से कार्यवाही भी संभव हो सकेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हर जेल में हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया, “FASTER सिस्टम के तहत अदालत के अंतरिम आदेश, स्टे ऑर्डर्स, बेल ऑर्डर्स और अदालत की कार्यवाही के रिकॉर्डस की ई-ऑथेंटिकेटेड (e-authenticated) कॉपी को संबंधित अधिकारियों और पक्षों तक पहुंचाया जाएगा। जिससे वो जल्द से जल्द इसे लागू कर सकें। ये सारी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के एक सुरक्षित चैनल के जरिये की जाएगी।”
CJI चिंता जताते हुए क्या कहा था?
बतादें कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटेरी जनरल को इस सिस्टम के प्रपोजल पर काम करने का निर्देश दिया गया था। CJI ने चिंता जताते हुए कहा था कि हम जेल में बंद कैदियों को जमानत मिलने के बावजूद रिहाई में होने वाली देरी को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में कोर्ट के आदेशों के तेजी से लागू होने के लिए सूचना और कम्यूनिकेशन की तकनीकों के इस्तेमाल का ये सही समय है।