इंदौर। हाल ही में हमने आपको इंदौर के युवा उद्यमी अनुभव दुबे की कहानी बताई थी। जिन्होंने चाय सुट्टा बार नाम से एक ब्रांड को लॉन्च किया और पूरे देश में मशहुर हो गए। इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे दंपत्ति की कहानी बताएंगे, जिन्होंने हर गली मोहल्लों में मिलने वाली पानी-पूरी को एक ब्रांड बना दिया। इतना ही नहीं उनकी पानी-पूरी ब्रांड पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने एक केस स्टडी भी की है।
गपागप ब्रांड
इस पानी-पूरी ब्रांड का नाम है ‘गपागप’, जिसे ‘चटर पटर’ कंपनी ने लॉन्च किया है। साल 2011 में मध्य प्रदेश के इंदौर में एक छोटे से स्टॉल से ‘चटर पटर’ की कहानी शुरू हुई और आज 22 राज्यों के अलग-अलग शहरों तक यह पहुंच चुकी है। बतादें कि इंदौर के रहने वाले प्रशांत कुलकर्णी और आरती सिरसट कुलकर्णी ने मिलकर इस ब्रांड की शुरूआत की थी। प्रशांत पेशे से एमबीए हैं तो वहीं आरती एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर। दोनों की मुलाकात इंफोसिस में काम करने के दौरान हुई थी। तब काम से लौटते समय उनकी आदत थी कि वे कई बार रास्ते में ठेले से पानी-पूरी खाया करते थे।
पानी-पूरी खाने से प्रशांत की तबियत खराब हो गई
लेकिन एक बार पानी-पूरी खाने के बाद प्रशांत कि तबियत खराब हो गई और डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी कि वह पानी-पूरी न खाएं। क्योंकि ठेले पर जो लोग पानी-पूरी बेचते हैं वे हाइजीन का ख्याल नहीं रखते हैं। ऐसे में प्रशांत और आरती ने सोचा कि अगर पानी-पूरी के स्टैंडर्ड को बढ़ा दिया जाए और उसे लोगों के सामने साफ-सुथरी जगह पर परोसा जाए तो लोगों के लिए अच्छा होगा और इसी सोच के साथ शुरू हुई देश की पहली पानी-पूरी ब्रांड की।
2011 में एक छोटे से स्टॉल से शुरूआत
दोनों ने साल 2011 में एक छोटे से स्टॉल से इसकी शुरूआत की। प्रशांत ने तब बिजनेस पर ध्यान देने के लिए नौकरी छोड़ दी। वहीं आरती एक कॉलेज में पढ़ाती रही। क्योंकि दोनों शुरूआत में ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते थे। शुरूआत में दोनों ने पानी-पूरी और दो-तीन तरह की चाट से शुरूआत की। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने देखा की मांग बढ़ रही है। ऐसे में उन्होंने अपना मेनू भी बढ़ाया।
लोग हंसते थे
आरती और प्रशांत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शुरूआत में लोग हमें कहते थे कि ये आईडिया काम नहीं करेगा, क्योंकि कोई भी पानी-पूरी का ठेला लगा सकता है। साथ ही लोग ये भी कहते कि कोई इंजीनियरिंग और एमबीए करके पानी-पूरी बचे तो लोग हसेंगे ही। लेकिन तब हम ये सोच रहे थे कि हमें सिर्फ पानी-पूरी ही नहीं बेचना है। बल्कि इसे एक ब्रांड बनाना है।
आरती ने रेसिपी तो प्रशांत ने बिजनेस को बढ़ाया
आरती ने रेसिपी तैयार किया, तो वहीं प्रशांत ने बिजनेस को बढ़ाने का काम किया। दोनों ने दिन-रात मेहनत करके पानी-पूरी के लिए अलग-अलग फ्लेवर तैयार किए। आज उनके पास 100 से भी ज्यादा प्लेवर हैं। एक छोटे से स्टॉल से शुरू किया गया स्टार्टअप, देखते ही देखते आउटलेट में बदल गया। इसके बाद राजकोट से एक शख्स ने उनसे संपर्क किया और पूछा कि क्या वे उन्हें अपनी ब्रांड की फ्रेंचाइजी देंगे? यह मौका आरती और प्रशांत के लिए किसी सपने से कम नहीं था। क्योंकि इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
करोड़ों में है टर्नओवर
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने भी इनकी पानी-पूरी ब्रांड पर एक केस स्टडी की है। दोनों ने पानी-पूरी और चाट की सफलता के बाद अब और भी कई तरह के खाद्य उत्पादों में अपना कदम बढ़ाया है। वहीं बिजनेस की बात करें तो आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है। साथ ही इस ब्रांड के नाम से वे दुबई और नेपाल जैसे देशों में भी अपने स्टोर खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं।