नई दिल्ली। आपने अक्सर सुना होगा कि किराएदार लंबे समय तक किराए के घर में रहने के बाद घर खाली करने से मना कर देता है। मीडिया में भी ऐसी खबरें अक्सर आते रहती हैं। मकान मालिक इन चीजों से डरते भी हैं। वे नहीं चाहते कि उनके घर में कोई किराएदार ज्यादा लंबे समय तक रहे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किरायेदार से जुड़ा कानून क्या कहता है? क्या किराएदार कुछ समय बाद संपत्ति पर मालिकाना हक साबित कर सकता है या फिर मकानमालिकों के पास भी कोई अधिकार होता है? आइए आज हम जानने की कोशिश करते हैं।
कुछ परिस्थितियों में किराएदार दावा कर सकता है
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वैसे तो किराएदार का मकान मालिक की संपत्ति पर हक नहीं होता। लेकिन कुछ परिस्थितियों में किराएदार अपना हक जाहिर कर सकता है। जैसे- अगर किसी ने अपने जानकार को रहने के लिए मकान दिया है और समय-समय पर उससे रेंट एग्रीमेंट नहीं करवाता। ऐसे में व्यक्ति 12 साल तक उस मकान में रह जाता है और उस संपत्ती पर एडवर्स पेजेशन रखता है तो ‘ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट’ के तहत उसे संपत्ति का अधिकार मिल जाता है। वो उस संपत्ति को बेच भी सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था?
लेकिन, वहीं अगर कोई किराएदार है और मकान मालिक समय-समय पर उससे रेंट एग्रीमेंट बनवा रहा है तो ऐसे में मकान मालिक को कोई दिक्कत नहीं होगी। इस स्थिति में कोई भी किराएदार उसकी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता। मालूम हो कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है। यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है।
सरकारी जमीन पर नहीं कर सकते दावा
ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस मियाद को पूरा कर लेता है और अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है तो वो संपत्ति पर हक के लिए दावा कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण को इससे बाहर रखा था। यानी कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। उसे कब्जे के लिए कानूनी अधिकार नहीं दिया गया है।
मकान मालिक जरूर करें ये काम
अगर आप भी एक मकान मालिक हैं तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। मकान को किराए पर देने से पहले आपको रेंट एग्रीमेंट, हाउस रेंट बिल, रेंट जैसी कानूनी कार्रवाई पहले ही कर लेनी चाहिए। ताकि आपके मकान में रहने वाला कोई किरायेदार मकान पर कब्जे का दावा न कर सके।