इंदौर। आज हम आपको स्टोरी ऑफ द डे में एक ऐसे कुख्यात गैंगस्टर की कहानी बताएंगे जो इंदौर में शराब सिंडीकेट का संरक्षक माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसका साम्राज्य पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र तक फैला हुआ है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं ‘सतीश मराठा’ उर्फ भाऊ (Gangster Satish Bhau) की। सतीश के गैंग में लगभग 500 लोग है। इन्हीं के दम पर वो मकान कब्जाना, दुकान खाली कराना, कारोबारियों से पैसे वसूलना और शराब कारोबारियों को संरक्षण देने जैसे काम करता है।
उसके उपर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं
सतीश कितना शातिर बदमाश है इसका अंदाज आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उस पर बाणगंगा, तुकोगंज, हीरानगर, पलासिया सहित कई थानों में हत्या, हत्या का प्रयास, धमकी, अड़ीबाजी जैसे दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। शहर में उसके कई दुश्मन भी हैं। यही कारण है कि अपनी सुरक्षा को लेकर वो हमेशा चौकस रहता है। उसके काफिले में हमेशा दो गाड़ियां चलती हैं। दोनों में हथियारधारी लोग बैठे रहते हैं। इतना ही नहीं अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा दो शार्प शूटर को 24 घंटे साथ रखता है।
हाईटेक सुरक्षा रखता है
वो जहां भी ठहरता है, हाईटेक सुरक्षा रखता है। जिस जगह रूकता है वहां सीसीटीव कैमरे लगवाता है और हमेशा उसे लाइव देखता है। हालांकि, आज-कल वो खलाखों के पीछे है और पुलिस उसके आपराधिक रिकार्ड को निकालकर कार्रवाई कर रही है। बता दें कि सतीश मराठा को पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया है। वो पहले भी जेल जाता रहा है। पिछली बार जब वह जमानत पर जेल से छूटा था तो वो विवादित मामलों के समझौतों को लेकर खुलेआम बैठकें करता था।
जेल में उसे सबसे आखिरी वाले बैरक में रखा गया है
इस दौरान वो लोगों को धमकाता और अड़ीबाजी करके करोड़ों रूपए भी उगाही करता था। लेकिन इस बार उसे जेल में सबसे आखिरी वाले बैरक में रखा गया है जहां इससे किसी को मिलने की इजाजत नहीं है। क्योंकि उसने गिरफ्तारी के समय पुलिस के सामने कबूल किया था, जब वह आखिरी बार जेल में था, तो वह वहां से भी अपनी सिंडीकेट चलाता था। शहर में दस साल से सक्रिय सतीश, विष्णु उस्ताद हत्याकांड (Vishnu Ustad Massacre) के बाद सबसे ज्यादा चर्चाओं में आया।
कभी शराब की पेटियां उठाया करता था
विजय नगर, टी आई तहजीव काजी के अनुसार सतीश महाराष्ट्र का मूल निवासी है। इंदौर आने के बाद वो शुरूआत में शराब के अहाते में काम किया करता था। इस दौरान वो शराब की पेटियां उठाता और उसे अहाते में रखता था। लेकिन धीरे-धीरे उसकी अपराधियों से दोस्ती होने लगी और वह भी इस लाइन में आ गया। आपराधिक दुनिया में आने और प्रभावशाली लोगों का संरक्षण प्राप्त करने के बाद, वह इसमें आगे बढ़ता गया।
पुलिस ने बनाया नाक का सवाल
लेकिन इस बार पुलिस ने सतीश मराठा को नाक का सवाल बना लिया और गिरफ्तारी के बाद उसके साथ इतनी कड़ाई की गई कि वो थाने में शुद्ध से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। पुलिसवाले जैसे ही हवालात से निकालकर टीआइ के कैबिन में ले जाते वो धम्म से गिर पड़ता है। खड़ा करने पर हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता और कहता साहब मेरे पैर कमजोर हैं, मुझे बैठ जाने दो।