पिथौरागढ़। भूगर्भशास्त्रियों के एक दल ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के Jumma Village Disaster वर्षा प्रभावित जुम्मा गांव तथा आसपास बसी आबादी के मकानों में बड़ी दरारों के उभरने के बाद क्षेत्र को तत्काल खाली करवाने की संस्तुति की है। हाल में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में भारी बारिश के दौरान तीन मकान ढहने से पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी और दो अन्य लापता हो गए थे। घटना में दो अन्य व्यक्ति घायल भी हुए थे।
घटना के बाद क्षेत्र के भूगर्भीय सर्वेक्षण के लिए गए विशेषज्ञों के एक दल ने अधिकारियों को जुम्मा गांव और उसके आसपास बसी आबादी के अभी भी खतरे में होने का Jumma Village Disaster हवाला देते हुए उसे तत्काल खाली करवाने का सुझाव दिया है।
दल के सदस्य जिला भूगर्भशास्त्री प्रदीप कुमार ने कहा, ” जुम्मा गांव में 29 अगस्त को मकानों के ढहने का कारण Jumma Village Disaster बना भूस्खलन, नालापानी से शुरू हुआ था और उसका निचला हिस्सा अब भी दरक रहा है। जुम्मा सहित कई गांव और आसपास बसी आबादी इसके कारण खतरे में हैं।
निवासियों को इन गांवों से बाहर निकाले जाने की जरूरत है।” कुमार ने कहा कि जुम्मा और आसपास के करीब 22 परिवारों Jumma Village Disaster के मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पैदा होने के कारण उनके लिए खतरा हो गया है। भूगर्भशास्त्रियों के दल ने क्षेत्र के आठ गांवों का सर्वेंक्षण करने के बाद पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी आशीष चौहान को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।