भोपाल। मध्य प्रदेश की शासकीय नौकरियों में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh) सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% आरक्षण लागू कर दिया है। गुरुवार को सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यह फैसला 2019 से लागू होगा। हाईकोर्ट (High Court) ने जिन परीक्षाओं (Exam) और भर्ती पर रोक लगाई है, उन पर यह आदेश लागू नहीं होगा। वहीं सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव के अभिमत के आधार पर सभी विभाग, संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे उच्च न्यायालय में लंबित मामलों को छोड़कर बाकी में 27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से परीक्षाओं और भर्तियों की कार्यवाही करें।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने साधा कांग्रेस पर निशाना
ओबीसी आरक्षण को लेकर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह (bhupendra singh) कहा कि यह बीजेपी सरकार का ऐतिहासिक फैसला है। कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। यही कारण है कि ओबीसी को अब तक 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल पाया। विधेयक की कॉपी कांग्रेस पार्टी विधानसभा में लेकर आई थी। विधेयक की कॉपी में लिखा है कि मप्र में अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या कुल 27% है। जबकि मप्र में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 51% है। कांग्रेस ने विधानसभा में ही गलत विधेयक पेश किया और न्यायालय में गलत जानकारी दी। इसके कारण से ही ओबीसी आरक्षण पर स्टे हुआ था। स्टे के समय भी उस समय सरकार के एडवोकेट जनरल कोर्ट में पेश नहीं हुए, इसके साथ ही सवा साल तक कांग्रेस सरकार ने कोई ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले इसके कोई प्रयास नहीं हुए।
मुख्यमंत्री @ChouhanShivraj जी के निर्देश पर हमारी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। #मध्यप्रदेश में परीक्षा और भर्तियों में #ओबीसी को 27% आरक्षण देने का आदेश आज जारी हुआ है। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग के लोगों को मेरी शुभकामनाएं।#OBCreservation@BJP4India@BJP4MP pic.twitter.com/vyzp6tpmbx
— Bhuppendra Siingh (@bhupendrasingho) September 2, 2021
कांग्रेस ने किया ओबीसी को गुमराह
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि उस समय स्टे हुआ था तो उस समय सरकार को स्टे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना था, लेकिन कांग्रेस के लोग सुप्रीम कोर्ट नहीं गए। इस तरह से ओबीसी को गुमराह करने का काम कांग्रेस ने किया है। ओबीसी वर्ग को कांग्रेस ने धोखा दिया है। इसलिए भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले इसके लिए प्रयास किए। न्यायालय के सामने ओबीसी आरक्षण को लेकर सभी तथ्य सही तरीके से रखे गए। मुख्यमंत्री के आग्रह पर भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल और एडवोकेट जनरल ने तथ्य रखे। सभी तथ्यों को सुनने के बाद न्यायालय ने सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख निश्चित की है। मेरी मांग है कि ओबीसी आरक्षण के नाम पर धोखा देने वाली कांग्रेस पार्टी प्रदेश के सभी पिछड़ा वर्ग के लोगों से माफी मांगे।
हजारों पद खाली है कई विभागों में, अंतिम सुनवाई 20 को
मध्यप्रदेश में लंबे समय से कई सरकारी पदों पर भर्तियां नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि भर्ती नहीं के कारण लगभग एक लाख पद विभिन्न विभागों में रिक्त हैं। 14 हजार 349 पद स्वास्थ्य विभाग में रिक्त हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में 10 हजार 345, गृह में सात हजार 661, वन में सात हजार 425, अनुसूचित जनजाति में छह हजार पांच सौ, राजस्व में पांच हजार और कृषि में ढाई हजार पद और अन्य विभागों में 35 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण के संबंध में उच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई 20 सितम्बर को होगी। बुधवार को सुनवाई में सरकार की ओर से अंतरिम आवेदन प्रस्तुत करके पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने पर 19 मार्च 2019 को लगाई अंतरिम रोक हटाने पर बल दिया था।