नई दिल्ली। संतान की लंबी आयु की प्राप्ति के लिए माताओं द्वारा Hal Shashthi 2021 date किया जाने वाला हलषष्ठी व्रत शनिवार को है। हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी व्रत के नाम से जाना जाता है। इसी दिन बलराम जयंती भी मनाई जाती है। इसे हल छठ, पीन्नी छठ या खमर छठ भी कहा जाता हैं। इस साल 2021 में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि यानि 28 अगस्त शनिवार को पड़ रही है।
जानें बलराम जयंती या हलषष्ठी व्रत पूजा का शुभ समय, पूजा विधि और महत्व।
हलषष्ठी व्रत के लिए शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 27 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार को शाम 6.50 बजे से शुरू हो रही है। जो अगले दिन यानी 28 अगस्त को रात 8.55 बजे तक रहेगी।
नहीं खाते हल को जुता
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है हल। यानि जिस अन्न को हल से नहीं जोता गया हो। इसलिए दिन व्रत के दौरान कोई अनाज नहीं खाया जाता। महुआ की दातुन की जाती है। तालाब में उगने वाली चीजें ही खाई जाती हैं। जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसाही के चावल। हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का इस्तेमाल प्रयोग किया जाता है। गाय के किसी भी प्रकार के उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का उपयोग नहीं किया जाता।
बनाते हैं छट माता का चित्र
हलषष्ठी पर घर या बाहर दीवाल पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाते हैं। जिसके बाद भगवान गणेश और मां गौरा का पूजन किया जाता है। घर में ही तालाब बनाकर महिलाएं उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं। इसी स्थान पर बैठकर पूजन होता है। जिसमें हल षष्ठी की कथा सुनी जाती हैं।
व्रत का महत्व
इस व्रत में महिलायें अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान हलधर पुत्रों को दीर्घायु प्रदान करते हैं। इस दिन पूजन में बच्चों के खिलौने भी रखे जाते हैं।